प्रिय मित्रों
मैं एक महीने के लिए छुट्टी पर जा रही हूँ ! आप सभी को बहुत याद करुँगी! क्रिसमस और नए साल की हार्दिक शुभकामनायें आप सब को और आपके परिवार को!
बबली (उर्मी)
Wednesday, December 9, 2009
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Sunday, December 6, 2009
नवनिर्माण जहाँ नैतिकता का पतन हो, मानवता का दफ़न हो, जहाँ नवयुवकों के सर पे कफ़न हो, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! जिसके बच्चे के सीने में जलन हो, मानव-मानव से त्रस्त हो, क़दम-क़दम पर धोखा, भ्रष्टाचार और रिशवत हो, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! नैतिकता का अब बोलबाला कहाँ, आदम-आदमखोर बनकर रहता है जहाँ, छातियाँ भी डरती है संगीनों से, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! जनता भी कम नहीं कमीनों से, होती है बलात्कार सामने, पूछते फिरते हैं, कल की घटना सुना है आपने, फिर भी करेंगे अपने वतन को सलाम हम ! |
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Posted by Urmi at 3:47 PM 16 comments
Tuesday, December 1, 2009
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Posted by Urmi at 3:46 PM 20 comments
Tuesday, November 24, 2009
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Posted by Urmi at 3:36 AM 16 comments
Thursday, November 19, 2009
रिश्ता |
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Wednesday, November 11, 2009
माँ माँ तुम अत्यन्त ममतामयी हो, तुम्हीं कमला तुम्हीं वांग्मयी हो, उर्जा से भरपूर संदील धूप हो, तुम देवी की मूरत हो! माँ पहले खाना मुझे खिलाती, बाद में तुम ख़ुद खाना खाती, मेरी खुशियों में खुश होती, मेरे दुखों में आँसूं बहाती! तुमने मुझे संस्कार सिखलाया , अच्छा बुरा मुझे बतलाया , मेरी गलतियों को सुधारा , हमेशा मुझपर प्यार बरसाया । तुम अमृत की गागर हो, फूलों जैसी कोमल और नाज़ुक हो, तुम बिन मेरा जीवन है अधूरा, हाँ माँ तुम ही मेरे जीने की वजह हो ! |
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Posted by Urmi at 10:33 PM 20 comments
Sunday, November 8, 2009
अकेलापन वीरान है ये आंखें मेरी, राह देख रही हूँ बस तेरी, छाई है यहाँ सुनी रातें, याद दिलाये तुम्हारी बातें ! बादलों ने ऐसे घेर लिया, उसे लिपटकर आँखों को बंद किया, आया कैसा ये सुहाना मौसम, बहने लगा जैसे प्यार में आलम ! रिमझिम रिमझिम बरसे सावन, भीगा तनमन मांगे साजन, इन वादियों ने मेरा मन मोह लिया, आ भी जा, अब आ भी जा मेरे पिया ! |
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Posted by Urmi at 8:10 PM 13 comments
Sunday, November 1, 2009
यादें ज़िन्दगी क्या है ? एक खेल है, सुख और दुःख का मेल है, याद करती हूँ सुख भीने पलों को, भुलाने को दुःख खिलाती हूँ, ह्रदय कमल के सुप्त शत दलों को ! प्यार का आलम यहाँ हर जगह नहीं होता, प्यार बेवजह होता है, बावजह नहीं होता, यादों का मौसम हमेशा बरसता रहता है, ये बदलती ऋतुओं की तरह नहीं होता ! फूलों को कितने जतन से रखते हैं ये खार, फूल फ़िर भी बनते हैं गैरों के गले का हार, खार लेकिन देवदास सा उदास नहीं होते, अपने प्रिय की हर अदा से करते हैं प्यार ! हर सुर- ताल पे झूमने को मन चाहता है, पर 'राधा-कृष्ण' सा महारास नहीं होता, चाहते सभी हैं ज़िन्दगी में आनन्द लेना, पर ऐसा मुकद्दर सभी के पास नहीं होता ! |
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Posted by Urmi at 4:47 AM 18 comments
Tuesday, October 27, 2009
आंखें सागर से भी गहरी है ये आंखें, जो बिन बोले सब कुछ कह देती है, जब लब पे बात आकर रूक जाती है, तब मन की हर बात कह देती है ये आंखें ! कभी खुशी झलकती है इन आँखों में, कभी आंसू बनकर बरस पड़ती है, कभी मासूमियत से भरी होती है, पल पल रंग बदलती हैं ये आंखें ! कोई ढूंढें इन आँखों में दिल का करार, तो कोई ढूंढें उनमें अपना प्यार, दिखती है किसीको जन्नत इसमें, तो किसीको नज़र आती है सिर्फ़ नफ़रत ! |
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Posted by Urmi at 3:37 PM 19 comments
Wednesday, October 21, 2009
उलझन ये ज़िन्दगी उलझनों से भरी है, जो उलझती सुलझती और फिर उलझन बन जाती है, ज़िन्दगी में कुछ करने का सपना देखा है, पर वो हकीकत नहीं एक सपना बनकर ही टूट जाता है ! आखिर क्यूँ उलझने आती हैं? क्यूँ सपने बिखर जाते हैं? क्या सपने कभी हकीक़त नहीं हो सकते? कोई उम्मीद की किरण क्यूँ नहीं दिखाई देती? ज़िन्दगी तो एक जुआ जैसा खेल है, हार और जीत दोनों ही इसमें शामिल है, हम सपने क्यूँ देखते हैं? सपने तो जैसे अँधेरी गुफाओं में खो जाते हैं ! उलझन में हम यूँ ही उलझते रहे, सपने यूँ ही सजते रहे, उलझन लिपटती रही साये की तरह, हम तड़प उठे सूखे पत्तों की तरह ! |
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Posted by Urmi at 11:16 PM 14 comments
Friday, October 16, 2009
शुभ दीपावली अब खत्म हुआ इंतज़ार की घड़ी, हर तरफ़ खुशियों की लहर चल पड़ी, घर के द्वार पर खूबसूरती से सजी है रंगोली, चमचम करती आई रे आई है देखो दिवाली ! मुस्कुराते और हँसते हुए दीप जलाना, जीवन में सारे सुख सम्पदा पाना, सारे दुःख दर्द को भुला देना, मन में उमंग और तरंग लिए दिवाली मनाना ! यहाँ वहां जहाँ भी नज़रें फेरो, जगमगाते हुए दीप जलते देखो, लड्डू बर्फी और तरह तरह की है मिठाइयां, सबके चेहरे पे झलक रही है खुशियाँ ! फुलझरी की ताड़ताड़ संग किलकारियां, हर तरफ़ है सिर्फ़ रोशनी ही रोशनियाँ, झूमते नाचते गाते खिलखिलाते सभी, आयो मिलकर हम मनाये दिवाली अभी ! |
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Posted by Urmi at 7:36 AM 12 comments
Friday, October 9, 2009
आसां नहीं है राहें आसां नहीं है राहें, बुझ सी गई है निगाहें, थककर हार जाऊँ मैं कैसे, फिर से प्रशस्त करनी है अपनी बाहें ! प्रशस्त होती ज़िन्दगी पे, काली घटा है छाई, कालचक्र की मनोदशा को, अब तक समझ न पाई ! आर्थिक मंदी की चपेट से, डूबता हुआ सव मंजर, सजी संवरी ज़िन्दगी में, चुभाता कोई खंजर ! सपनें सजाये चली थी घर से, किसीको आँचल में सर छुपाये, वक्त की दरिया ने ऐसा डुबोया, ज़िन्दगी भी गई और गई पनाहें ! |
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Posted by Urmi at 11:06 PM 15 comments
Sunday, October 4, 2009
Posted by Urmi at 6:19 PM 9 comments
Monday, September 28, 2009
ज़िन्दगी जो चाहत थी ज़िन्दगी में, जिसे ख़्वाब में देखा था मैंने, उसे जब पाया मैंने हकीक़त में, तो ज़िन्दगी क्या है उसे महसूस किया मैंने ! ज़िन्दगी की हर ख्वाइश को पूरा किया उसने, हर लम्हे को फूलों की तरह ख़ूबसूरत बनाया उसने, मेरे हर दुःख को उसने अपना समझा, हर मुश्किल घड़ी में मेरा साथ दिया उसने ! मेरे दिल की हर बात को उसने अपना समझा, मैंने ख़ुद को दुनिया का सबसे ज़्यादा खुशनसीब समझा, सारी दुनिया से बेखबर हो गई थी मैं, उसके बेपनहा मोहब्बत में इस कदर खो गई मैं ! |
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Posted by Urmi at 5:57 AM 17 comments
Tuesday, September 22, 2009
प्यारी सी पंछी खड़ी थी अपने घर के आंगन में, नीले नीले आसमान को देखते हुए, चारों तरफ़ हरियाली छाई हुई थी, मन मेरा खुशी से झुमने लगा था ! मैं देख रही थी सुंदर पंछियों को, तभी आकर मेरे सामने बैठा एक मीठा सा पंछी, मैं उसकी ओर देखती रही और वो मुझे भी, पल भर में लगा की उसने बहुत कुछ कह दिया! मैं अपने अकेलेपन को दूर करने चली थी, अब उस पंछी से मेरी दोस्ती हो गई, न सोचा था कभी ऐसा दोस्त मिलेगा, उस छोटे से नन्हे पंछी से मुझे तमाम खुशियाँ मिल गई ! |
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Posted by Urmi at 5:52 PM 22 comments
Thursday, September 17, 2009
सफर मीलों दूर तक जाना है, एक नया जहाँ बनाना है, झुकना मना है, थकना मना है, मंजिल से पहले रुकना मना है ! पता है मुश्किलें तो आयेंगी, मुझको, मेरे हौसले को आज़मायेंगी, पर मैं न डरूंगी, मैं न मरूंगी, सीने में सैलाब लिए, मुश्किलों पर ही टूट पडूँगी ! इन मुश्किल हालातों में, अचानक मेरे ख्यालों में, किसीकी मुस्कान याद आती है, उसकी प्यारी बातें दिल के तार छेड़ जाती है, कोई था, जो मुझे अकेला छोड़ गया, सारे रिश्ते, सारे बंधन, एक पल में ही तोड़ गया ! जब आँखें भर आती है, और यादें तडपाती है, उसकी आवाज़ कहीं से आती है, हौसला ना हार, कर सामना तूफ़ान का, तू ही तो रंग बदलेगा आसमान का ! करता जा अपनी मंजिल की तलाश; तेरे साथ चलेंगे ये दिन ये रात; चलेगी ये धरती, ये सकल आकाश ! काटों को फूल समझता चल; बाधा को धूल समझता चल; पर्वत हिल जाए, ऐसा चल; धरती फट जाए ऐसा चल; चल ऐसे की, तूफ़ान भी शरमाये तेज़ तेरा देखकर, ज्वालामुखी भी ठण्ड पर जाए ! |
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Posted by Urmi at 6:02 PM 18 comments
Thursday, September 10, 2009
तूफ़ान हम भी थे इश्क की भीड़ में खोये हुए कभी, आज हमनें तन्हाई में जीना सीख लिया है ! किसी भी राह पर चलने से अभी कतराते नहीं, तूफानों से हंसके गुज़रना हमनें सीख लिया है ! लफ़्जों का इस्तेमाल करना छोड़ दिया हमनें, आंखों से दर्द बयान करना सीख लिया है ! वफ़ा का ज़िक्र करना छोड़ दिया हमनें, तुमनें की जो बेवफ़ाई उसी राह पर चलना सीख लिया है ! रास न आया तुम्हें हमारा खुशी से जीना, इसलिए घुट घुट कर मरना हमनें सीख लिया है ! |
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Posted by Urmi at 10:32 PM 14 comments
Sunday, September 6, 2009
इंतज़ार |
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Posted by Urmi at 6:25 PM 20 comments
Sunday, August 30, 2009
वक्त नहीं हर खुशी है लोगों के दामन में, पर एक हँसी के लिए वक्त नहीं, दिन रात दौड़ती दुनिया में, ज़िन्दगी के लिए ही वक्त नहीं! माँ की लोरी का एहसास तो नहीं, पर माँ को माँ कहने का वक्त नहीं, सारे रिश्तों को तो हम मार चुके, अब उन्हें दफनाने का भी वक्त नहीं ! सारे नाम मोबाइल में है, पर दोस्ती के लिए वक्त नहीं, गैरों की क्या बात करें, जब अपनों के लिए ही वक्त नहीं ! आंखों में है नींद बड़ी, पर सोने का वक्त नहीं, दिल है गमों से भरा हुआ, पर रोने का भी वक्त नहीं ! पैसों की दौड़ में ऐसा दौड़े, की थकने का भी वक्त नहीं, पराये एहसासों की क्या कद्र करें, जब अपने सपनों के लिए ही वक्त नहीं ! तू ही बता ए ज़िन्दगी, इस ज़िन्दगी का क्या होगा, के हर पल मरने वालों को, जीने के लिए भी वक्त नहीं !! |
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Posted by Urmi at 7:20 PM 30 comments
Friday, August 21, 2009
बदलो स्थान नहीं, शासन बदलो, जात नहीं, जमान बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो ! गुल नहीं गुलज़ार बदलो, रूप नहीं श्रृंगार बदलो, परिवार नहीं संस्कार बदलो, अस्पताल नहीं डॉक्टर बदलो ! आवाम नहीं आवाज़ बदलो, धर्म नहीं अन्धविश्वास बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो ! कर्म नहीं तरीका बदलो, कर्तव्य नहीं अधिकार बदलो, राष्ट्र नहीं सरकार बदलो, प्रेम नहीं नफ़रत को बदलो ! सृष्टि नहीं दृष्टि बदलो, समाज नहीं जन बदलो, अगर कुछ बदलना चाहते हो तो स्वयं बदलो !! |
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Posted by Urmi at 11:37 PM 20 comments
Sunday, August 16, 2009
मेरा बचपन वो सुबह सुबह जल्दी उठना और स्कूल जाना, दोस्तों का बतकही, वो दोस्तों की टशन, |
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Posted by Urmi at 9:41 PM 36 comments