ख़्वाबों में मत तराश
उदास रात की कोई सुबह हसीन नहीं होती, ख़ुशी के एक लम्हें के लिए तरस जाती ! न आसमाँ है मेरा, न ज़मीन ही है मेरी, जिसे माना अपना, बेगाना-सा लगे वहीँ ! मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती, मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं ! मुझे तू ख़्वाबों में मत तराश अभी, उड़ती तितली की तरह मैं रंगीन नहीं ! छुप जाते हैं बादल में कभी चाँद व तारे, गुमसुम रहकर देखती हूँ वो सब नज़ारे ! भुला दिया उसने प्यार करके मुझे, मिलने पर वो पहचाने, मुझे ये यकीन नहीं ! टूटे हुए कांच की तरह बिखर गई मैं तो, मिले न अब पनाह तक, ये सोचकर रोयी ! बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए, खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं ! |
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Friday, September 2, 2011
Posted by Urmi at 7:32 PM
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44 comments:
मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं !
Waah ...Sunder Abhivykti...
dard vyakt karti hui marmsparshi rachna ..
टूटे हुए कांच की तरह बिखर गई मैं तो,
मिले न अब पनाह तक, ये सोचकर रोयी !
बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए,
खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं !
---विरोधाभाषी भाव-अभिव्यक्ति है...
बहुत ही बढ़िया।
सादर
bahut sunder bhaav abhivyakti.very nice.
खूबसूरत अभिव्यक्ति
खुबसूरत रचना,सादर .
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं !
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
सभी दोहे दर्द की दास्ताँ हैं...
व्यथा की अच्छी अभिव्यक्ति..बधाई
टूटे हुए कांच की तरह बिखर गई मैं तो,
मिले न अब पनाह तक, ये सोचकर रोयी !
बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए,
खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं !
BAHUT SUNDER SHER .POORI PRASTUTI HI BEMISAAL HAI .BAHUT BAHUT BADHAAI AAPKO.
बहुत ही सुन्दर रचना.. कोमल भावों से सजी!!
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति। धन्यवाद|
प्रेम है तो विरह भी है और इसे स्वीकार करना ही होगा बबली जी.......
विरह की टीस को अभिव्यक्त करती एक सुन्दर और सुहानी कविता.
बधाई व आभार !!
अच्छी भावाभिव्यक्ति बधाई
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति पढ़ कर अच्छा लगा......
आप भी आये यहाँ कभी कभी
MITRA-MADHUR
MADHUR VAANI
BINDAAS_BAATEN
ye pyar hi hai jo mitne per bhi gamgeen nahi hone deta...pyar ki kisi bishes sthiti me aisa ho jaata hai dil to kuch chahata hai..per dimag har sambhawna ko kharij kar deta hai..sundar prastutu...mere blog pe aap bahut dino se nahi aayin hain...meri bahut sari rachnayein aapka intzaar kar rahi hain
मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं ! ...... खूबसूरत अभिव्यक्ति.
सुंदर दुख भरी कविता । पर आंत में अपने आप को सम्हलने का प्रयास भी है ।
बहुत खूब ...
ati sundar
adbhut ..sahi sabdo ka chayn ..maja aaya
बबली जी
चलते फिरते आपके ब्लॉग पे आना हुआ
पढ़ कर बहुत अछा लगा
मुझे तू ख़्वाबों में मत तराश अभी,
उड़ती तितली की तरह मैं रंगीन नहीं !
बहुत सुन्दर
सुन्दर भाव.. अच्छी रचना.सादर
त्याग की भावना सभी में नहीं होती ! मोम जल कर भी रोशनी देता है - किसी और के लिए ! बहुत सुन्दर दर्पण !
वाह बेहतरीन !!!!
भावों को सटीक प्रभावशाली अभिव्यक्ति दे पाने की आपकी दक्षता मंत्रमुग्ध कर लेती है...
Really very impressive! Congrats!
बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए,
खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं !
saare sher hi bahut anupam shaandaar rachanaa bahut badhaai aapko.
mere blog per aane ke liye dhanyawaad
meri nai post aapki tippadi ke intjaar main hai.thanks.
बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति.
मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं !
मुझे तू ख़्वाबों में मत तराश अभी,
उड़ती तितली की तरह मैं रंगीन नहीं !
अत्यंत हृदयस्पर्शी रचना...
मन को छू गये आपके भाव...
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कब तक ढ़ोना है मम्मी, यह बस्ते का भार?
आओ लल्लू, आओ पलल्लू, सुनलो नई कहानी।
मैं ख़ुशबू बनकर हवा में नहीं बसती,
मैं किरणों की तरह महीन भी नहीं ! ...वाह:बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति...
बुझ गया ये "दीप", सुबह के सितारे के लिए,
खुश हूँ मिटकर भी, मैं ज़रा गमगीन नहीं !
खुशियाँ किसी और की मोहताज होनी भी नहीं चाहिए.
एक उभरती युवा प्रतिभा
हर शेर बेहतरीन ...
आप की पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (१०) के मंच पर शामिल की गई है /आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आप हमेशा ही इतनी मेहनत और लगन से अच्छा अच्छा लिखते रहें /और हिंदी की सेवा करते रहें यही कामना है /आपका ब्लोगर्स मीट वीकली (१०)के मंच पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /
न आसमाँ है मेरा, न ज़मीन ही है मेरी,
जिसे माना अपना, बेगाना-सा लगे वहीँ !
..बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
प्रेम की वाणी जब शब्द बन कर फूटती है , तो भावनाए प्रबल हो जाती है ! बहुत सुन्दर
lovely poem
Bahut Khoob behtarin rachna.
भावपूर्ण रचना , आभार
khoobsurat......
बबली जी नमस्कार, सुन्दर भाव -बुझ गया दीप सुबह के सितारे के ----------------
Bahut badhiyaa...
एक नया अनुभव आप से अनायास यूँ मिलना !
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