ख़ाक होने से पहले रूठे हो मुझसे, बात भले न करना तुम, सिर्फ़ एक बार सीने से लगालो तुम ! ख़ाक होने से पहले जो पुकारूँ नाम, सुनके मुझे पास में बुलालो तुम ! वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों, बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम ! तन्हाई का शिकार हूँ मैं, जानते हो तुम, तन्हा न करो और मुझे संभालो तुम ! दूर रहकर भी तुम अपने-से लगते हो, पास आकर अजनबी न बनालो तुम ! सहारा नहीं माँगा है तुमसे मगर, मझधार से अब तो निकालो तुम ! |
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Friday, September 23, 2011
Posted by Urmi at 9:49 AM
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28 comments:
'तन्हाई का शिकार हूँ मैं, जानते हो तुम,
तन्हा न करो और मुझे संभालो तुम !'
वाह बहुत खूब ... बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
जज्बातों को खूबसूरती से लिखा है .
बहुत ही सुंदर .....प्रभावित करती बेहतरीन पंक्तियाँ ....
बेहद खूबसूरत आपकी लेखनी का बेसब्री से इंतज़ार रहता है, यही तो है कलम का जादू बधाई
................बबली जी
दूर रहकर भी तुम अपने-से लगते हो,
पास आकर अजनबी न बनालो तुम !
jo apna sa lagta hai wo kabhi door kahan hai..behtarin
बेहतरीन रचना....
ख़ाक होने से पहले जो पुकारूँ नाम,
सुनके मुझे पास में बुला लो तुम !
लाजवाब....
कमाल कर दिया आपने,खूब.
वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम
बहुत खूब, बबली जी.
आप बहुत भावुक बना देतीं हैं.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
खूबसूरत जज्बात....
सुन्दर सी गज़ल बधाई और शुभकामनायें
क्या ख़ूब लिखा है आपने ! बधाई!
" वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम !
wah ! shandar rachana
http://eksacchai.blogspot.com
दूर रहकर भी तुम अपने-से लगते हो,
पास आकर अजनबी न बनालो तुम !
बहुत ही सुन्दर भावों से ओत-प्रोत है आपकी यह रचना बधाई हो आपको आप भी मेरे फेसबुक में आने का कष्ट करें
mitramadhur@groups.facebook.com
सुन्दर सी प्यारी गज़ल.बहुत- बहुत बधाई और शुभकामनायें.......
वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम !
...बहुत खूब ! भावों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..
वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम !
वक्त की धारा अक्सर हमें अपनों से अलग कर देती है । ऐसे में दिल से पुकारना ही हमारे वश में रह जाता है ।
सुंदर रचना ।
Very very good !!!!
गज़ल बेहद खूबसूरत है|शक्ति-स्वरूपा माँ आपमें स्वयं अवस्थित हों .शुभकामनाएं.
बहुत सुन्दर भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति|
भावों की बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति.. बधाइयाँ और शुभकामनाएं !
Bahut hin sundar Prastuti
भावुक संवेदनाएँ.. अच्छी लगी. दुर्गा-पूजा की शुभकामनाएँ.
वाह! बहुत खूब।
यह ब्लॉग तो अब और भी सुंदर हो गया है! देर से आने का अफसोस है। यूं ही कभी कभार याद दिला दिया करें।
वक्त की धारा में बिछड़े हैं हम दोनों,
बनके कश्ती किनारे पे लगालो तुम !
bhut acha.
आह्वान का सुन्दर स्वर ..
Bahut achchhii samvedanatmak kavita..Babli ji hardik badhai...
Poonam
'तन्हाई का शिकार हूँ मैं, जानते हो तुम,
तन्हा न करो और मुझे संभालो तुम !'
wah!! kya kahne hain!!...
pyari si rachna!1
aajkal aap hamare blog pe nahi aate!
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 03 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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