अधूरी सी बात कुछ कहना तो चाह रहे हैं, पर कह नहीं पा रहे हैं, न जाने क्यूँ लव्ज़ जुबां पे आकर, यूँ ठहर जा रहे हैं ! ख्याल भी मुझसे दूर जाकर, जाने किस ओर जा रहा है, अंजाम न पाकर, लौट कर आ रहा है ! कोई गूँज किसी ओर से, इधर आ रही है, मेरी ख़ामोशी से टकराकर, बिखर जा रही है ! क्या पागल है ये मन ? इस तरह बहका जा रहा है, रो रही है आँखें, और ये हँसना चाह रहा है ! कोई ख़ुशबू तो है यहाँ, जो माहौल को महका रही है, अपने ही आहोश में, मुझे डूबोए जा रही है ! मैं क्या सोच रही थी, और कहाँ जा रही थी ? हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को, पकड़ना चाह रही थी ! |
---|
Tuesday, November 23, 2010
Posted by Urmi at 4:51 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
27 comments:
सुंदर भावों की अच्छी अभिव्यक्ति। चित्र भी लाजवाब।
बेहतरीन भावों से सजी लाजवाब पंक्तियाँ
हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !
अधूरे से एहसास अनुगमन स्वाभाविक है.
बेहतर रचना
Babli,
Very good once again. Always like reading your Hindi poems. Reminds me of my young day.
वाह, बहुत सुन्दर रचना बन पड़ी है !
हर कोई किसी न किसी मोड़ पर इ एह्सास से दो चार होता है... आपने ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति दी है इन एहसास को!!
dil me utar gai........shad sanyojan ati sundar
मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।
सुंदर भावों की अभिव्यक्ति.....
सुन्दर है लिखा ,जैसे गम का हद से बढ़ जाना हो जाता है खुद ही उसकी दवा हो जाना ....ये न्यामत तो रचनाकार को ही मिलती है ..अपने ही मन के भावों को दूर से देख के पढ़ लेता है और बयाँ भी कर लेता है ।
क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !
बेहतरीन... बहुत सुन्दर रचना है!
Thanks for sharing...
Vins :)
अधूरे एहसासों को पकड़ने की चाह ही तो अभिव्यक्ति बन जाती है ....
बबली जी, एक अच्छी रचना पढने को मिली आप्के ब्लोग पर आ कर!
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.
Dhanyabad urmi ji mere blog par tippni karne aur mere follower banne ke liye. aap ne dil ke jazbat ko shabdo me khubsurti se piroya hai. aabhar.
हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !
-सुन्दर!
सुन्दर और सहज अभिव्यक्ति।बधाई बबली जी
अनूठा सा अंदाज लगा आपका ,बहुत सुन्दर.
man ki baat sahajtaa se kah gayii aap
बड़ी सुन्दरता के साथ अधूरेपन को भरने की कोशिश करी है आपने... सादर
क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !
भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
सुंदर भावों की अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई...
कोई गूँज किसी ओर से,
इधर आ रही है,
मेरी ख़ामोशी से टकराकर,
बिखर जा रही है
वाह वाह,क्या बात है उर्मी जी
बहुत ही सुन्दर ...।
बबली जी
कहना तो बहुत कुछ चाह रहे थे, पर सच में लफ्ज ऐसे जालिम होते हैं कि कहने के समय न जाने कहां गायब हो जाते थे। वैसे हमेशा बकबक की झड़ी लगी रहती थी, पर सही समय पर लापता। गले से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं होते थे। औऱ दिमाग उन लफ्जों को बाहर आने पर मजबूर कर देता था, जो शायद ही कभी निकलते हों। सच में इन लफ्जों ने बड़ा खेल खेला है हमारे साथ। अब आपने यहां कहकर राग छेड़ दिया है। धन्यावाद इसके लिए।
वैसे आपको कुछ कहना है क्या?
ACHCHHA LIKHTE HO LIKHA KARO
hindi likh rahe ho to hindo hi likha karo
अधूरी सी बात...अधूरे एहसास की तलाश
...बहुत खूब।
Post a Comment