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Tuesday, November 23, 2010


अधूरी सी बात

कुछ कहना तो चाह रहे हैं,
पर कह नहीं पा रहे हैं,
न जाने क्यूँ लव्ज़ जुबां पे आकर,
यूँ ठहर जा रहे हैं !

ख्याल भी मुझसे दूर जाकर,
जाने किस ओर जा रहा है,
अंजाम न पाकर,
लौट कर आ रहा है !

कोई गूँज किसी ओर से,
इधर आ रही है,
मेरी ख़ामोशी से टकराकर,
बिखर जा रही है !

क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !

कोई ख़ुशबू तो है यहाँ,
जो माहौल को महका रही है,
अपने ही आहोश में,
मुझे डूबोए जा रही है !

मैं क्या सोच रही थी,
और कहाँ जा रही थी ?
हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !

27 comments:

मनोज कुमार said...

सुंदर भावों की अच्छी अभिव्यक्ति। चित्र भी लाजवाब।

Hindi Tech Guru said...

बेहतरीन भावों से सजी लाजवाब पंक्तियाँ

M VERMA said...

हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !

अधूरे से एहसास अनुगमन स्वाभाविक है.
बेहतर रचना

Amrit said...

Babli,

Very good once again. Always like reading your Hindi poems. Reminds me of my young day.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

वाह, बहुत सुन्दर रचना बन पड़ी है !

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

हर कोई किसी न किसी मोड़ पर इ एह्सास से दो चार होता है... आपने ख़ूबसूरत अभिव्यक्ति दी है इन एहसास को!!

Anamikaghatak said...

dil me utar gai........shad sanyojan ati sundar

निर्मला कपिला said...

मन के भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति। बधाई।

डॉ. मोनिका शर्मा said...

सुंदर भावों की अभिव्यक्ति.....

शारदा अरोरा said...

सुन्दर है लिखा ,जैसे गम का हद से बढ़ जाना हो जाता है खुद ही उसकी दवा हो जाना ....ये न्यामत तो रचनाकार को ही मिलती है ..अपने ही मन के भावों को दूर से देख के पढ़ लेता है और बयाँ भी कर लेता है ।

vins said...

क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !

बेहतरीन... बहुत सुन्दर रचना है!

Thanks for sharing...
Vins :)

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अधूरे एहसासों को पकड़ने की चाह ही तो अभिव्यक्ति बन जाती है ....

ktheLeo (कुश शर्मा) said...

बबली जी, एक अच्छी रचना पढने को मिली आप्के ब्लोग पर आ कर!

P.N. Subramanian said...

बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति.

Amit Chandra said...

Dhanyabad urmi ji mere blog par tippni karne aur mere follower banne ke liye. aap ne dil ke jazbat ko shabdo me khubsurti se piroya hai. aabhar.

Udan Tashtari said...

हाँ, शायद किसी अधूरे से एहसास को,
पकड़ना चाह रही थी !


-सुन्दर!

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुन्दर और सहज अभिव्यक्ति।बधाई बबली जी

shikha varshney said...

अनूठा सा अंदाज लगा आपका ,बहुत सुन्दर.

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

man ki baat sahajtaa se kah gayii aap

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) said...

बड़ी सुन्दरता के साथ अधूरेपन को भरने की कोशिश करी है आपने... सादर

रचना दीक्षित said...

क्या पागल है ये मन ?
इस तरह बहका जा रहा है,
रो रही है आँखें,
और ये हँसना चाह रहा है !

भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।

Sunil Kumar said...

सुंदर भावों की अच्छी अभिव्यक्ति, बधाई...

Kunwar Kusumesh said...

कोई गूँज किसी ओर से,
इधर आ रही है,
मेरी ख़ामोशी से टकराकर,
बिखर जा रही है

वाह वाह,क्या बात है उर्मी जी

सदा said...

बहुत ही सुन्‍दर ...।

Rohit Singh said...

बबली जी
कहना तो बहुत कुछ चाह रहे थे, पर सच में लफ्ज ऐसे जालिम होते हैं कि कहने के समय न जाने कहां गायब हो जाते थे। वैसे हमेशा बकबक की झड़ी लगी रहती थी, पर सही समय पर लापता। गले से बाहर निकलने को तैयार ही नहीं होते थे। औऱ दिमाग उन लफ्जों को बाहर आने पर मजबूर कर देता था, जो शायद ही कभी निकलते हों। सच में इन लफ्जों ने बड़ा खेल खेला है हमारे साथ। अब आपने यहां कहकर राग छेड़ दिया है। धन्यावाद इसके लिए।

वैसे आपको कुछ कहना है क्या?

Anonymous said...

ACHCHHA LIKHTE HO LIKHA KARO


hindi likh rahe ho to hindo hi likha karo

देवेन्द्र पाण्डेय said...

अधूरी सी बात...अधूरे एहसास की तलाश
...बहुत खूब।