तन्हाई हमसे यूँ न मिला करो ए तन्हाई, शायद किस्मत में लिखी है जुदाई ! तन्हा बैठे बातें करती हूँ, तन्हा हूँ मगर साथ है तन्हाई ! हर पल रहती हूँ साथ उसके, के कभी अपनी सी लगती है तन्हाई ! वक़्त गुज़रने का एहसास नहीं होता, बातें करते करते सुला देती है तन्हाई ! हँसती रहती हूँ साथ उसके, के हँसती है तन्हा देखकर मेरी तन्हाई ! कुछ कहती नहीं मेरे बारे में, बिना कुछ कहे कह जाती है मेरी तन्हाई ! |
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Wednesday, December 1, 2010
Posted by Urmi at 1:33 AM
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24 comments:
बबली जी .. बहुत सुन्दर रचना ..बधाई
बेहद शानदार
sundar subject chuna hai aapne achchi kavita badhai
wah kya baat hqi.....badiya.....
bahut badhiya babli ji....tanhai me bhi aapne +ve nikaalaa hai.
कुछ कहती नहीं मेरे बारे में,
बिना कुछ कहे कह जाती है मेरी तन्हाई !
गजब का प्यार है तन्हाई से बहुत सुन्दर रचना ..बधाई
tanhaai hi to rulaati hai........aur kuchh kaha ankahaa kar jaati hai...
sunder rachna
bahut achchi lagi aapki kavita.
Awesome :)) Very good.
बिना कुछ कहे कह जाती है मेरी तन्हाई !
..सुंदर।
वक़्त गुज़रने का एहसास नहीं होता,
बातें करते करते सुला देती है तन्हाई !
शानदार...
तनहाई इस मामले में अच्छी है कि ऐसे में आपको अपने लिए वक़्त मिल जाया करता है....
और खुशी जब अपने आप पे निर्भर हो तो टिकाऊ होने की संभावना ज्यादा होती है...
अच्छी कविता
इतनी तन्हाई अच्छी नहीं.. मगर कविता अच्छी है!!
आपकी तन्हाई बहुत अच्छी है ..बात भी करती है ..सुला भी देती है ...बढ़िया रचना ..
kamaal karti ho babli ji..
हर पल रहती हूँ साथ उसके,
के कभी अपनी सी लगती है तन्हाई !
wah wah...
sheela ki jawani dekhne aaiyega mere blog pe... ;-)
वाह तन्नहाई। इतने रुप से साथ ही रहती है। फिल्म दिल चाहता है का गीत याद आ गया। पर वो उदास गीत था, ये कविता कुछ अपनी सी लगती है। सो उदास नहीं होने को कहती है यहां तन्हाई। वरना हर बार उदास ही कर देती हैं तन्हाईयां।
आपकी रचना बहुत अच्छी लगी .. आपकी रचना आज दिनाक ३ दिसंबर को चर्चामंच पर रखी गयी है ... http://charchamanch.blogspot.com
nice photo collection and jo aap ne top pe photo lagya hai use me se font ke pichhe se background nikal dijiye go atchha lagega
आदरणीय बबली जी
नमस्कार !
सुकोमल अहसास वाली कविता . आभार .
"माफ़ी"--बहुत दिनों से आपकी पोस्ट न पढ पाने के लिए ...
babli ji
aapne to tanhai ke aalam ko bakhoobi prastut kar diya behad hi shandaar tareeke se.
badhi
कुछ कहती नहीं मेरे बारे में,
बिना कुछ कहे कह जाती है मेरी तन्हाई !
poonam
तन्हा बैठे बातें करती हूँ,
तन्हा हूँ मगर साथ है तन्हाई
क्या बात है तन्हाई की.
आप cheerful रहती हैं.आपको तन्हाई से बाते करने का गुण आता है.
Just amazing, I always feel that you read my heart out here!!
के कभी अपनी सी लगती है तन्हाई !
yeh to bahut hi badiya hai.
किसकी बात करें-आपकी प्रस्तुति की या आपकी रचनाओं की। सब ही तो आनन्ददायक हैं।
सुन्दर भावाव्यक्ति...आपकी रचना पढ कर एक गजल याद आ गई.
तन्हाई भी मिल जाये तो खुल कर नहीं मिलता
दिल जिसको दिया हमने वो दिलवर नहीं मिलता
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