उम्मीद उम्मीदों की रोशनी से, दामन भरा था मेरा ! जिसे चाहा था खुदसे ज़्यादा, उसने तोड़ दिया अपना वादा ! रात दिन जिसके आने की उम्मीद करती, उसे एक पल भी मेरी याद न आती ! जिसका ख़्वाब हर पल देखती थी, हो गया ओझल कुछ इस तरह ! वफ़ा का सिला उसने ऐसा दिया, दिल रो रोकर बेहाल हो गया ! क़ाश उसके आने की उम्मीद न करती, आज मैं ख़ुदको तन्हा न पाती ! बस कमी थी अगर कोई, तो साथ नहीं था उसका ! सामने कश्ती थी और, साहिल छूट गया मेरा ! |
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Wednesday, March 9, 2011
Posted by Urmi at 11:22 PM
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31 comments:
that was a touching one...nice presentation...
I used to read such kavitha in Anitha mam's class. Now through your blog... :)
वाह! सुन्दर रचना!
सामने कश्ती थी और,
साहिल छूट गया मेरा ...gahari chot khayee lagti hain....sundar rachna.
bablee ji / Urmi ji ... kaafi samay baad aap blog jagat me aayin hai... post 25 dec ke baad aaj hai... par kamaal kee hai... kal charchamnach par aapki yah post hogi... aap vahan aa kar apne vichaaron se anugrahit kijiyega... dhanyvaad
इक अनजाना सा डर और उम्मीद की किरण... इसी पर जीवन डोर टिका है.
- हेडर कविता ने विशेष आकर्षित किया.
उम्मीद अभी भी बनाये रखें ....बहुत दिन बाद कोई पोस्ट आई है आपकी ..
Babli,
Awesome poem. Where have you been for such a long time? Busy in compiling a book?
Beautifully written poem.
सामने कश्ती थी और,
साहिल छूट गया मेरा !
बहुत संवेदनशील प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
बहुत संवेदनशील प्रस्तुति|धन्यवाद|
HI URMIJI
HOW ARE YOU?
DO YOU KNOW ANY MAGIC TO GET INTO MY HEART AND BRING MY FEELINGS OUT?? HERE?
WONDERFUL. I RELATE THIS TO ME:-)
बहुत सुंदर भाव.... लम्बे समय बाद आपकी रचना पढने को मिली है :)
अरे, उर्मी जी आप कहाँ चली गयी थीं ? बहुत दिन आप नज़र ही नहीं आयीं.भई देखिये ये बात ठीक नहीं है.
और आपकी नई कविता में इतनी निराशा क्यों? कोई बात ज़रूर है जो आप बताना नहीं चाहतीं मगर कविता में आपके उदगार तो बता ही रहे हैं. आप ज़ियादा परेशान मत होइए,ये दुनिया ऐसी ही है.
आपकी कविता पढ़कर किसी का कहा हुआ एक शेर आपसे share करने का मन कर रहा है.शेर है;-
वफ़ा की राह में कितने गुनाह होते हैं.
ये उनसे पूछे कोई जो तबाह होते हैं.
bahut khubsurat
सामने कश्ती थी और,
साहिल छूट गया मेरा ..
ek antraal ke baad blog jagat main aapka haedik swagat hai,
धन्यवाद|
saamne kashti thee aur saahil chhoot gaya mera....
der aaye durust aaye!
फूल से फूल की तुलना. अति सुन्दर. विदेश में रहकर भी अपनी भाषा से ऐसा प्रेम. प्रशंसनीय.
सुंदर भावों से सजी कविता लेकिन इतनी निराशा क्यों वो भी इतने दिनों बाद........
बस कमी थी अगर कोई,
तो साथ नहीं था उसका !
bas yhi to vo kmi hai jo n jeene deti hai n marne
bhut achchhi kvita
bdhaai ho
दिल लिखी गयी नज़्म.
दिल को छूती हुई.
सलाम.
संवेदना और दर्द से भरी एक भावपूर्ण रचना है ! इस पीड़ा की उम्र लंबी ना हो यही दुआ करती हूँ ! आपकी कविता दिल को छूकर उदास कर गयी ! मेरी शुभकामनायें स्वीकार करें !
Sundar Rachana.
आपकी पोस्ट बहुत दिन बाद आई है !
सुन्दर रचना !
मन की भावनाओं को
बहुत प्रभावशाली शब्द दिए हैं ..
बहुत अच्छी कविता !
सामने कश्ती थी और,
साहिल छूट गया मेरा !
is sher ko samajhna padega
tippani bad men ...
Beautiful as always.
It is pleasure reading your poems.
कई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
बहुत देर से पहुँच पाया ....माफी चाहता हूँ..
होली की बहुत बहुत शुभकामनाएं.
bahut sundar rachna babli ji
man ko chooti hui aur man me basti hui..
badhayi sweekar kare..
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मेरी नयी कविता " तेरा नाम " पर आप का स्वागत है .
आपसे निवेदन है की इस अवश्य पढ़िए और अपने कमेन्ट से इसे अनुग्रहित करे.
"""" इस कविता का लिंक है ::::
http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/02/blog-post.html
उम्मीद पे दुनिया कायम है...
बेहद भावुक रचना...
wah...pyari si rachna...:)
holi ki shubhkamnayen...
बहुत सुन्दर ,संवेदनशील प्रस्तुति...
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