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Friday, March 25, 2011



हमारी धरती

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !


मानव, मछली, पशु और पक्षी,
लाखों जीवों का है घर,
रहते हैं सब मिलकर धरती पर,
प्यार भरा है न कोई बैर,
सब में जीवन, है सब बराबर,
नहीं है कोई किसीसे कम !


इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

रंग बिरंगे उड़ते पतंगे,
इन्द्रधनुष के अदभुत नज़ारे,
परिंदे गगन पे है मंडराते,
एक एक करके दाना चुगते,
डगमग डगमग चलते जाते,
देखकर मन ख़ुशी से खिल उठते !

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

तरह तरह के है फूल खिले,
जीवन रक्षक वृक्ष हमारे,
ताज़े सब्जी, अन्न और जल,
किसानों के मेहनत का है फल,
जब तक धरती हरी रहेगी,
स्वस्थ हमेशा कायम रहेगी !

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !

19 comments:

Shikha Kaushik said...

तरह तरह के है फूल खिले,
जीवन रक्षक वृक्ष हमारे,
ताज़े सब्जी, अन्न और जल,
किसानों के मेहनत का है फल,
जब तक धरती हरी रहेगी,
स्वस्थ हमेशा कायम रहेगी-
bahut sundar v sarthak bat kahi hai aapne .badhai .

Rajesh Kumar 'Nachiketa' said...

बढ़िया सन्देश....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना

Anonymous said...

bahtu khoob
nice blog
check out mine blog
and follow it if you like my posts
http://iamhereonlyforu.blogspot.com/

संजय भास्‍कर said...

सार्थक और बेहद खूबसूरत,प्रभावी,उम्दा रचना है..शुभकामनाएं।

पूनम श्रीवास्तव said...

babli ji
prakriti ke har rang ko samete hue sarthak sandesatmakta se paripurn aapki kavita bahut hi achhi lagi .sach jab sab kuchh prakriti ke haath me hai to ,vo ham sbke liye hai to hamari bhi jimmedari banti uski suraxha ke liye .
par ham hain ki usase khilvaad karte hi chale ja rahen hain
itni sundar post ke liye bahut bahut dhanyvaad
poonam

ashish said...

आपकी इस कविता के साथ हम भी अपनी प्यारी धरती का मनमोहक रूप निहार लिए . आभार धरती के नख शिख वर्णन के लिए .

Dr (Miss) Sharad Singh said...

जब तक धरती हरी रहेगी,
स्वस्थ हमेशा कायम रहेगी !

इतनी बड़ी है धरती हमारी,
प्यार मोहब्बत से करे रखवाली !.....


संवेदनाओं से भरी बहुत सुन्दर कविता...

बहुत-बहुत बधाई !

जयकृष्ण राय तुषार said...

सुंदर कविता बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं |

Apanatva said...

sunder prakrti mahima...
aabhar

विशाल said...

खूबसूरत धरती गान..

Anupam Karn said...

खूबसूरत व् दिल को आनंदित करने वाली कविता !

निर्झर'नीर said...

सार्थक रचना

Vivek Jain said...

सार्थक कवित! विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

तरह तरह के है फूल खिले,
जीवन रक्षक वृक्ष हमारे,
ताज़े सब्जी, अन्न और जल,
किसानों के मेहनत का है फल,
जब तक धरती हरी रहेगी,
स्वस्थ हमेशा कायम रहेगी !
उर्मी / बबली जी सुन्दर भाव सार्थक रचना आप दूर रह भी हिंदी से इस कदर जुडी देख हर्ष हुआ -अच्छा सजाया आपने ब्लॉग -हम भी आप के सुझाव व् समर्थन की आस लिए -भालो लागलो
सुरेन्द्र कुमार शुक्ल भ्रमर ५

महेन्‍द्र वर्मा said...

रंग बिरंगे उड़ते पतंगे
इन्द्रधनुष के अदभुत नज़ारे
परिंदे गगन पे है मंडराते
एक एक करके दाना चुगते
डगमग डगमग चलते जाते
देखकर मन ख़ुशी से खिल उठते !

प्रेरक भाव, प्रेरक कविता।

नश्तरे एहसास ......... said...

saarthakta se paripurna.......bahut sunder!!!!

Sushil Bakliwal said...

बहुत दिनों से आपकी नई पोस्ट देखने में नहीं आ रही है । कृपया कम से कम दो पोस्ट का तो महिने में सिलसिला बनाये रखने का प्रयास अवश्य करें । धन्यवाद सहित...

सार्वजनिक जीवन में अनुकरणीय कार्यप्रणाली

होनहार

महेन्द्र श्रीवास्तव said...

मैं पहली बार आपके ब्लाग को देख कर रहा हूं। वाकई आपकी कविताएं बहुत ही बढिया है। शुभकामनाएं.