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Monday, November 7, 2011

एक नयी कहानी

ये कहानी, ये किस्से,
है ज़िन्दगी के ही हिस्से,

फिर भी हम इन्हें,
क्यूँ अपना नहीं पाते?


जितने ये पास आते,
उतने ही हम दूर जाते,
इन किस्सों से सपनों को सजाकर,
जीवन को क्यूँ नहीं सँवारते?


फिर आहट ह्रदय लेकर,
फिरते हैं इधर उधर,
किस्से बन जाते हैं नये,
वैसे ही जैसे कुछ पुराने !

फिर भी सदियों से,
लोग किस्से बनाते रहे,
और कहानी उनकी हर युग में,
सबको सुनाते ही रहे !

मैं भी एक किस्सा हूँ,
क्यूँकि समय का हिस्सा हूँ,
होगी मेरी भी एक कहानी,
जो बनेगी अस्तित्व की निशानी !

फिर कैसे मैं सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
मैं इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !


31 comments:

Anupama Tripathi said...

sunder sakaratmak soch.
badhai.

Unknown said...

बहुत बढ़िया लिखा है.

Rakesh Kumar said...

फिर कैसे में सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
में इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !

आप की सोच कमाल की है,
आपकी प्रस्तुति धमाल की है,
आप अजर अमर आत्मा हैं
आप में ही तो परमात्मा है
मिटना तो अज्ञान को होगा
आपके ज्ञान का प्रकाश ही
इतिहास के पन्नों में अंकित होगा.

बबली जी,आप 'नाम जप' पर अपने
अमूल्य विचार और अनुभव बताईयेगा,प्लीज.

ऋता शेखर 'मधु' said...

मन में उठते विचारों को बहुत जीवंत तरीके से लिखा है...बहुत अच्छा लगा|

Rakesh Kumar said...

आप के विलक्षण 'जप' अनुभवों को जानकर बहुत ही हार्दिक प्रसन्नता मिली,बबली जी.

आप हमेशा ही शुभ चिंतन करती रहें और अपने शुभ चिंतन से ब्लॉग जगत को सदैव प्रकाशित करती रहें यही दुआ और कामना है मेरी.

मेरे ब्लॉग पर आकर अपने अमूल्य अनुभवों से
अवगत कराने के लिए बहुत बहुत आभार आपका.

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब कविता है ....

Yashwant R. B. Mathur said...

मैं भी एक किस्सा हूँ,
क्यूँकि समय का हिस्सा हूँ,
होगी मेरी भी एक कहानी,
जो बनेगी अस्तित्व की निशानी !

बेहतरीन पंक्तियाँ।

सादर

वन्दना अवस्थी दुबे said...

मैं भी एक किस्सा हूँ,
क्यूँकि समय का हिस्सा हूँ,
होगी मेरी भी एक कहानी,
जो बनेगी अस्तित्व की निशानी !
बहुत सुन्दर कविता है उर्मि जी.

M VERMA said...

हमसे कहानियाँ हैं और कहानियों में हम ही तो हैं
सुन्दर रचना

Amrit said...

Very good :)))

डॉ. मोनिका शर्मा said...

मैं भी एक किस्सा हूँ,
क्यूँकि समय का हिस्सा हूँ,
होगी मेरी भी एक कहानी,
जो बनेगी अस्तित्व की निशानी !

बेहतरीन पंक्तियाँ....

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

सब अपने किस्से लिए जीते हैं और फिर इतिहास के पन्नों में दर्ज़ हो जाते हैं ..अच्छी प्रस्तुति

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया said...

ये कहानी ये किस्से
है जिंदगी के हिस्से
किस्से बन जाते है नए
वैसे ही जैसे की नई...
बहुत सुंदर सार्थक पोस्ट....

Swarajya karun said...

मानवीय संवेदनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति. अच्छी कविता के लिए बधाई .

Rahul Bhatia said...

अति उत्तम रचना

vidya said...

वाह...काबिले तारीफ़ रचना..बधाई हो आपको.

डॉ. दिलबागसिंह विर्क said...

आपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
कृपया पधारें
चर्चा मंच-694:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

'साहिल' said...

फिर कैसे मैं सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
मैं इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !

बहुत खूब!

Rajesh Kumari said...

bahut sudar ehsaas...really hum se hi to itihaas rache jaate hain.

vandana gupta said...

बहुत सुन्दर भाव

कविता रावत said...

बहुत बढ़िया रचना!

Anamikaghatak said...

ati sundar post....good

Kailash Sharma said...

फिर कैसे मैं सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
मैं इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !

....बहुत सार्थक और सकारात्मक सोच...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..

अरुण कुमार निगम (mitanigoth2.blogspot.com) said...

फिर कैसे में सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
में इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !

मिटने के बाद इतिहास बनने की बजाय जीते जी इतिहास रचना कैसा रहेगा ?

बढ़िया रचना.

Suman Dubey said...

बबली जी नमस्कार, सुन्दर भाव फिर मै कैसे सोचूंएक दिन मिट---------------अंकित हो जाऊगीं मेरे ब्लाग पर भी आपका स्वागत है।

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') said...

सकारात्मक सोच... अच्छी रचना...
सादर बधाई....

virendra sharma said...

क्या बात है .एक बिम्ब जीवन का उकेरा आपने इस कविता में जाना सा पहचाना सा .सबका सा .

चंदन said...

फिर कैसे में सोचूँ,
एक दिन अचानक मिट जाऊँगी,
में इतिहास के पन्नों पर,
अंकित हो जाऊँगी !


सुन्दर शब्द संयोजन|

गिरधारी खंकरियाल said...

जीवन का यही यथार्थ है

Santosh Kumar said...

इन किस्सों से सपनों को सजाकर,
जीवन को क्यूँ नहीं सँवारते?

सीधे-सरल शब्दों में बहुत बड़ा सन्देश दे दिया आपने.
आभार.

yashoda Agrawal said...

आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में रविवार 03 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!