ख्वाइश कैसे कहूँ की अपना बना लो मुझे, बाहों में अपनी समा लो मुझे ! बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं, तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे ! ज़िन्दगी वो है जो संग तुम्हारे गुज़रे, दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे ! मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी, तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे ! ये कैसा नशा है जो बहका रहा है, तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे ! नजाने फिर कैसे गुज़रेगी जिंदगानी, अगर अपने दिल से कभी निकालो मुझे ! |
---|
Sunday, November 20, 2011
Posted by Urmi at 7:55 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
34 comments:
प्रेमपगी अच्छी प्रस्तुति
प्रेम की गहन छटाओं से भरी सुंदर कविता.
शाश्वत प्रेम....बधाई
'हम तुम्हें दिल से क्यूं निकालेंगे ?,
ये तुम्ही छिटक के दूर बैठे हो !'
सुन्दर भाव !
बहुत प्यारी..
मीठी सी कविता.
सुन्दर भाव!
प्रेम के इजहार की खुबशुरत रचना,बेहतरीन पोस्ट,
मेरे नए पोस्ट पर स्वागत है ...
सुंदर कविता....बधाई
सुन्दर कविता...बधाई|
मेरी सबसे गहरी ख्वाइश हो पूरी,
तुम अगर पास अपने बुलालो मुझे !
सुंदर प्रेम कविता
कैसे कहूँ की अपना बना लो मुझे,
बाहों में अपनी समा लो मुझे !
उर्मी जी , जब हम किसी से जुड़ जाते हैं तो हम काफी मजबूर हो जाते हैं लेकिन दिल है कि मानता नही एवं आखिरी ख्वाहिश यही होती है कि उसके बाँहों में समा कर जीवन के कुछ खूबसूरत पल को जी लिया जाए । आपकी रचना एक अलौकिक कल्पना जगत में लेकर चली गयी । धन्यवाद ।
बहुत अच्ची भावपूर्ण कविता नदी के मंथर प्रवाह सी .
Hi..
Phir chhalkaya nasha prem ka, fir takraaya pyaar ka jaam..
Sundar gazal..
Deepak Shukla..
behtareen
Bahut Umda ...Prem ke gahre bhav...
ये कैसा नशा है जो बहका रहा है,
तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे !
बहुत ही भावपूर्ण एवं प्रेमपूर्ण प्रस्तुति !
बेहद खुबसूरत..
बहुत सुन्दर ख्वाइश है,बबली जी.
भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत आभार.
ज़िन्दगी वो है जो संग तुम्हारे गुज़रे,
दुनिया के ग़मों से अब चुरा लो मुझे
beautiful poem
बहुत अच्छे भाव,बहुत अच्छी रचना !
प्रस्तुत कहानी पर अपनी महत्त्वपूर्ण प्रतिक्रिया से अवगत कराएँ ।
भावना
Very nice
सुंदर प्रेम गीत .
बिन तुम्हारे एक पल भी कटता नहीं,
तुम आकर मुझी से चुरा लो मुझे !
BAHUT SUNDAR.
ये कैसा नशा है जो बहका रहा है,
तुम्हारा हूँ मैं संभालो मुझे !बहुत खूब लिखा है बबली जी।धन्यवाद।
प्रेम की पराकाष्ठा परिलक्षित हो रही है पंक्ति दर पंक्ति!!
सुन्दर सी पर प्यारी रचना..बधाई !!
बहुत सुंदर प्रेममयी प्रस्तुति...
अनोखी अदा , जो दिल से निकली और महक उठी ! बधाई
बहुत सुंदर लगी यह कविता. देरी से आने के लिए क्षमा चाहता हूँ.
Babli, I cannot resist myself from sharing your post...
बबली , बहुत ही सुन्दर गज़ल .. दिल को छूती हुई .. दुनिया के गमो से चुरा लो मुझे .. बहुत सुन्दर बात कही आपने बबली .. बधाई हो जी ..
विजय
beautiful and nice;;
waah...
bahut sundar...
vah ....prany ke swar adbhud hain .. badhai.
Post a Comment