उन शहीदों को नमन आज फिर बाँका सिपाही, जंग में इक मर गया, जाते-जाते साँस अपनी, नाम माँ के कर गया ! झेल कर सीने पे अपने, दुश्मनों के वार को, फूल बूढ़ी माँ की बगिया का यकायक झर गया ! जिंदगी कैसे कटेगी, माँ की बिन बेटे के अब, प्रश्न आँखों की नमी का, मौन हर उत्तर गया ! उस सिपाही ने भी चाहा था कि घर आबाद हो, अब तो उसकी माँ का जीना, हो बहुत दूभर गया ! फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन, कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया ! उन शहीदों को नमन जो घर की सीमा लाँघ कर, हँसते-हँसते देश पर, कर जान न्यौछावर गया ! |
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Sunday, November 27, 2011
Posted by Urmi at 8:09 PM
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33 comments:
शहीदों की याद को हमेशा सलाम !
फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन,
कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया !
....बहुत सुन्दर बबली जी....देशप्रेम के गीत सी लगी आपकी कविता.
फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन,
कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया !
बेहद प्रेरणादायी पंक्तियाँ
Namaskar ji..
Veergati paakar ke koi, aaj tak hai na mara...
Apne sathi, sahcharon, parivar ke dil main raha..
Jo tirange main lipatkar..koi jo pahuncha hai ghar..
Patni, bete, maa, pita ke, garv se uth jayen sar...
Bahut hi sundar bhav...
Shubhkamnayen
Deepak Shukla..
२६/११/के सभी शहीदों को मेरा नमन....
अमर शहीदों की याद दिलाती सुंदर रचना,....
मेरे पोस्ट पर आने के लिए आभार..
उन शहीदों को नमन जो घर की सीमा लाँघ कर,
हँसते-हँसते देश पर, कर जान न्यौछावर गया !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...
हृदयस्पर्शी..... शहीदों को नमन
देश के प्रहरियों पर बहुत कम कविताएँ लिखी जाती हैं. उर्मी जी आपको बहुत बधाई और वीरों को नमन.
बहुत सुन्दर कविता है उर्मि जी आपने इस कविता में त्याग और बलिदान के अनोखे रंग भर दिए हैं । बहुत सधी हुई कविता है ।बधाई!!
सैनिकों के सम्मान मे अभिव्यक्त उद्गार स्तुत्य एवं अनुकरणीय हैं।
इस पवित्र सेनानी को नमन !
अति सुन्दर ! बधाई
देश प्रेम के नाम खूबसूरत रचना बधाई
मन भर आया!!! नमन उन अमर शहीदों को!!
शहीदों को सलाम करती रचना
As usual very very nice
बहुत सुंदर।
.देश प्रेम से ओत प्रोत यह गीत बड़ा प्यारा बन पड़ा है।..बधाई।
आपके सुन्दर प्रेरक जज्बातों को सलाम.
आपकी अनुपम कविता से हम आपके
पावन हृदय के भी दर्शन करते हैं,बबली जी.
बहुत बहुत आभार.
"फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन,
कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया!"
very nice line. bahut acchha likha hai aapne.
जिंदगी कैसे कटेगी, माँ की बिन बेटे के अब,
प्रश्न आँखों की नमी का, मौन हर उत्तर गया !
....देशप्रेम के भावों से ओतप्रोत बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति...
जय हिंद ... जय हिंद की सेना !
प्रभावी प्रस्तुति |
बेहद प्रेरणादायी ||
बहुत सुन्दर बबली जी ||
देशप्रेम पर आधारित रचनाएँ बहुत कम दिखती हैं,बहुत अच्छा लगा.
देश के शहीदों को नमन!
बढ़िया रचना!
सुंदर भाव, बढ़िया शब्द चयन,
अमर शहीदों को समर्पित मार्मिक कविता.
Bahut sunder rachna deshbhakti geet ragon mein josh bhar deta hai . Un sabhi sahido ko mera shat shat naman.
फक्र करती माँ शहादत पर, तुम्हारी रात दिन,
कहते फिरती बेटा मेरा, करके ऊँचा सर गया !
उन शहीदों को नमन जो घर की सीमा लाँघ कर,
हँसते-हँसते देश पर, कर जान न्यौछावर गया !
koti-koti naman...
हृदयस्पर्शी.सुन्दर भाव..... देश के शहीदों को मेरा नमन!
बहुत अच्छा लिखा है.शहीदों को नमन.
bahut dino baad itni bandhi hui behtarin ghazal padhne ko mili..tareef ke liye shabd nahi hain..mujhe to behad pasand aayee..
फक्र करती मां-------हमारा भी नमन इन शहीदो को।
bahut sundar Urmi ji
sadar aabhar .
Shaheedon ke prti aapka samrpan vaki kabile tareef hai ....apki kavita ko naman hai.
सुन्दर से भी सुन्दर
पता नहीं मैंने इस कविता को पढकर जिस अनुभूति का अनुभव किया है पर्याप्त है या नहीं ...होगा भी कैसे ....माँ की आँखों का इंतजार और गर्व से उठा हुआ सर ...और पुत्र की कर्तव्यनिष्ठा को समझना ...मुश्किल है !
उस सिपाही ने भी चाहा था कि घर आबाद हो,
अब तो उसकी माँ का जीना, हो बहुत दूभर गया !
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