प्रकृति का दृश्य नीले नभ में, उड़े पंख फैलाये पंछी, मन को भाये ! सिसकी हवा, उड़ चल रे पंछी, नीड़ पराया ! आस है मुझे, पंछी जैसे मैं उडूं, विश्व में घूमूँ ! धरा की धूल, छूने लगी आकाश, हवा के साथ ! उड़ती फिरूँ, सारी दुनिया देखूँ, मैं गीत गाऊँ ! कभी मैं बैठूँ, प्रकृति को निहारूँ, ख़ुशी से झूमूँ ! ऊषा ने बाँधी, क्षितिज के हाथों में, सूर्य की राखी ! अपूर्व दृश्य, तस्वीर बना डालूँ, क्या करिश्मा ! रश्मि की लाली, सूरज को प्रणाम, धरा के नाम ! धूप सुबह, ओस-सा झिलमिल, इक सपना ! |
---|
Sunday, December 4, 2011
Posted by Urmi at 10:17 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
34 comments:
कितनी मनमोहक कविता है... और आपके अरमान भी बहुत अच्छे हैं... आमीन!!!
निरंतर दुआ
खुदा से करता हूँ
ख्वाइश मेरी पूरी
कर दे
प्रकृति को मेरी
बाहों में समेट दे
उसमें खो जाने दे
सुन्दर कविता उर्मीजी ,
आपकी कलम में जान है
वाह ... बहुत सुन्दर शब्दों से बुनी है आपने ये रचना ... लाजवाब ...
बहुत खूबसूरत रचना
khubsurat shabd rachna...
बहुत सुन्दर शब्द रचना ...
बहुत सुन्दर कविता, अच्छी लगी .
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ||
बधाई ||
शुभकामनाएं !
मनमोहक चित्र खींचा है आपने!!
मनमोहक सुंदर शब्दों के साथ
लिखी बेहतरीन पोस्ट!!!!!!!!
बहुत खूबसूरत.
Very very nice
बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति......
भाव प्रांजलता लिए सुन्दर कविता सुन्दर प्रतीक विधान .परिधान कविता का .
kaamnaon se bhari..ek accha sandesh deti ..prakriti ko chitrit karti ek sunder rachna...sadar badhayee aaur amantran ke sath
कभी मैं बैठूँ,
प्रकृति को निहारूँ,
ख़ुशी से झूमूँ !
आज कुछ कहने का मन नही है मेरा.
बस जय हो ,जय हो , जय हो
बबली जी के सुन्दर लेखन की जय हो.
मोहक रचना...
सादर बधाई...
bahut hee khoobsurat babli jee!
nice poem...beautiful like a painting.
ये तो हाइकु हैं!! जो भी हो. प्रकृति के साथ एकाकार करती कविता, बहुत ही सुंदर.
कभी मैं बैठूँ,
प्रकृति को निहारूँ,
ख़ुशी से झूमूँ !बहुत अच्छी प्रस्तुति।
दिल को छू गयी ये पोस्ट.....बहुत सुंदर,
बहुत अच्छी कविता! बधाई !
"ऊषा ने बाँधी,क्षितिज के हाथों में,सूर्य की राखी"
wah.....kavita padhte hue..aapki rachna me hui kalpana me khud main dub gaya tha..
pata nahi kyu prakriti meri maa jaisi hai ....
jaise maa ke pass baithne ka man rah hi jata hai aur nikalna padta hai waise hi prakriti ki ranginiyon se jii nahi bharta
bahut hi sundar chitran !!
सुंदर प्रस्तुति.
सभी हाइकु बहुत ही सुन्दर...बधाई|
मेरा भी ....
मेरा भी यही मन है काश ...
शुभकामनायें आपको !
प्रकृति को समर्पित एक बेहतरीन रचना..!
बहुत सुंदर
क्या कहने..
प्रकृति की अद्भुत छटा और सुन्दरता को समाहित किये सुन्दर रचना
ऊषा ने बाँधी,
क्षितिज के हाथों में,
सूर्य की राखी !
सुन्दर रचना..आभार.
सभी हाइकु बहुत खूबसूरत हैं उर्मि जी !
Post a Comment