वर्षा ऋतु भीषण गर्मी, तपती है धरती, है परेशान ! नभ की ओर, आँखें लगाए सभी, करते दुआ ! वर्षा की रुत, सूखा पड़ा है खेत, किसान दुखी ! मेघ गरजा, मुसलाधार वर्षा, धरा मुस्काई ! झूमता मन, रिमझिम के गीत, गुनगुनाए ! शीश झुकाए, वर्षा ऋतू में तरु, हरे-भरे से ! चमक उठे, चेहरे हैं सबके, बौछार पड़ी ! |
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Sunday, December 18, 2011
Posted by Urmi at 1:53 AM
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23 comments:
बेहद खुबसूरत..फुहार सी रचना ..
आपकी प्रस्तुति अच्छी लगी । मेरे नए पोस्ट "खुशवंत सिंह" पर आपका इंतजार रहेगा ।
बहुत सुंदर बेहतरीन पोस्ट.......
मेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
जहर इन्हीं का बोया है, प्रेम-भाव परिपाटी में
घोल दिया बारूद इन्होने, हँसते गाते माटी में,
मस्ती में बौराये नेता, चमचे लगे दलाली में
रख छूरी जनता के,अफसर मस्ती के लाली में,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलिमे click करे
sukomal rimjhim fuhaar si rachna bahut badhiya.
URMI JI,
Is sheet laharee men barshat bhee karwa rahee hain, badhai.
bahut dinon se mere blog par naheen aayeen,padhaaren,pratiksha hai.
वाह! बहुत सुन्दर,उर्मी जी
आपकी सुन्दर प्रस्तुति पढकर एक भूले बिसरे
गाने की याद आ गई
'रिमझिम के तराने लेकर आई बरसात...'
आगे आप को याद हो तो बताएं.
सुन्दर प्रस्तुति.
बहुत ही खुबसूरत और कोमल भावो की अभिवयक्ति......
वाह उर्मी जी...
बहुत सुन्दर हायेकु कविताओं का संग्रह...
बेहतरीन और तकनीकी तौर पर एक दम सही :-)
बधाई.
बड़ी सुंदर पंक्तियाँ .
aajkal to sardi ho rahee hai!
kam se kam aapki kavita se to barsaat ka anubhav hua, nahin to yahan sukha hi sukha hai.
कोमल भाव से सजी सुन्दर कविता..
वाह!कोमल फुहारों से सजे हाइकु बहुत अच्छे लगे|
बेहद खुबसूरत.
बरसात की बातें सुनकर सर्दी में और कपकपी छुटने लगी
कविता उद्देश्यपरक है।
बेहतरीन अभिव्यक्ति ।
bahut sundar Urmi ji ....badhai..
बहुत सुंदर बेहतरीन....akhtar khan akela kota rajsthan
आपको भी सपरिवार वर्ष 2012 मंगलमय हो।
बहुत खूब , बहुत खूब ......
आपने बड़ी सुन्दर कविता लिखी है।बर्षा ऋतु पर।
इस समय सारा उत्तर भारत भयंकर ठंड से जूझ रहा है।कृपया ठंड पर भी कोई अच्छी कविता लिखो जी
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