नदी सुन्दर वादियों में निकल पड़े हम, पर्वत से बहती नदियाँ देखने लगे हम, क्या गज़ब दृश्य है,जैसे एक सपना है, पशु, पक्षियाँ, पेड़ सब जैसे अपना है ! कुहू कुहू मीठे आवाज़ में पुकारती पंछी, छल छल आवाज़ करती, मीठे राग सुनाती नदी, बारीश के मौसम में होगा क्या नज़ारा, इन वादियों में खोने को दिल करता है हमारा ! लहराके बलखाके बहती रहती है नदी, पलभर के लिए लगे, बस जाये हम यँही, तटपर बिखरती है सौंदर्य अपनी नदी, देखकर मन खिल उठे हर घड़ी ! चाहे कितने ही युग क्यूँ न बीते, हज़ार बाधाएँ नदी क्यूँ न सहे, छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को, भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी ! |
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Wednesday, May 4, 2011
Posted by Urmi at 12:28 AM
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25 comments:
beetee kaee hai sadiya
jeevan aadhar hai nadiya
sunder kavita
सुन्दर अभिव्यक्ति ..नदी की तरह ही बहना सीखें
मैं भी सोच रहा था कि शायरी आ गयी पर कविता कहाँ है.. अब मिली.. बहुत सुन्दर.. नदियों को तो हम माता कहते आए हैं!!
बहुत बढ़िया!
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चाहे कितने ही युग क्यूँ न बीते,
हज़ार बाधाएँ नदी क्यूँ न सहे,
छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को,
भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी!
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सुन्दर प्रकृति चित्रण किया है!
नदिया,पहाड़,हरियाली,पशु-पक्षी सबका खूबसूरत वर्णन आपकी इस कविता "नदी" में देखने को मिला.चित्र तो और भी सार्थकता प्रदान कर रहा है.
कुहू कुहू मीठे आवाज़ में पुकारती पंछी,
छल छल आवाज़ करती, मीठे राग सुनाती नदी,
बारीश के मौसम में होगा क्या नज़ारा,
...सुन्दर प्रकृति चित्रण किया है!
बहुत ही बेहतरीन वापसी कि है आपने बबली जी...
बहुत समय बाद आपकी इतनी सुन्दर रचना पढने को मिली. अच्छा लगा.
नीरज
Wow.....beautiful
चाहे कितने ही युग क्यूँ न बीते,
हज़ार बाधाएँ नदी क्यूँ न सहे,
छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को,
भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी !
so nice ..ek acchi rachana
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति..... मन के बहते भाव
सुन्दर अभिव्यक्ति .....बहुत बढ़िया
बबली जी,
बड़े दिनों के बाद आपके यहाँ आना हुआ, कैसे हैं आप, रचना हर बार की तरह बहुत खूबसूरत है!
बहुत सुन्दर प्रकृति चित्रण..बस यही कामना है कि इसी तरह बहती रहें हमारी नदियाँ..
छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को,
भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी...
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति.....भावनाओं सी बहती नदी अविरल बहती....
babli ji
bahut bahut hi sundar rachna .puri prakriti ko aapne apni kavita me smet kar rakh diya hai
Wah! behtreen prkriti chitran
bahut bahut badhai
poonam
वाह! बहुत अच्छी लगी यह कविता। मेरा भी मन ऐसी वादियों में, ऐसा ही हुआ है..
..बहुत बधाई।
अलोचक के रूप में कमेंट...
अधजल गगरी करती छल छल
बहती नदिया करती कल कल
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति। एक लंबे अंतराल के बाद आपके पोस्ट पर आया हूं।अच्छा लगा। धन्यवाद।
first of all i would like to thank you for your precious comment on my blog.Babli aapke blog par pahli bar aai hoon,ek pyaari maasoomiyat se bhari kavita Nadi padhne ko mili.sahi hai manobhaav aur nadi ka bahaav ek jaisa hai.
आपके मधुर सुन्दर भावों को नदी रूप में बहता देख मन मगन हों गया.आपकी प्रस्तुति शानदार और मोहक है.क्या बेहतरीन गूंथा है शब्दों को आपने:-
लहराके बलखाके बहती रहती है नदी,
पलभर के लिए लगे, बस जाये हम यँही,
तटपर बिखरती है सौंदर्य अपनी नदी,
देखकर मन खिल उठे हर घड़ी !
मेरे ब्लॉग पर आप आयीं ,इसके लिए बहुत बहुत आभार .
कृपया ,एक बार फिर से आईयेगा.नई पोस्ट पर आपके सुविचारों की आनंद वृष्टि की अपेक्षा है.
सुन्दर प्रकृति चित्रण किया है|बहुत बढ़िया|
चाहे कितने ही युग क्यूँ न बीते,
हज़ार बाधाएँ नदी क्यूँ न सहे,
छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को,
भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी !
नदी पर बहुत ही सुन्दर रचना.... पढ़ कर मन आनंदित हो गया ! उर्मि जी, नदी तो मेरी रूह में बसती है. नदी अनायास ही प्रतीक बन कर आ जाती है मेरे गीतों-गजलों में.
आपको मेरी अनेक शुभकामनाएँ !
चाहे कितने ही युग क्यूँ न बीते,
हज़ार बाधाएँ नदी क्यूँ न सहे,
छोड़ेगी नहीं कभी अपने पथ को,
भावनाओं की तरह बहती रहेगी नदी !
sahi kaha hai aapne
bahut sundar bhavabhivyakti .badhai .
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