बारिश की फुहार रोए पर्वत, चूम कर मनाने, झुके बादल ! कुछ जज़्बात, काले बादलों जैसे, छाए मन में ! हल्की फुहार, रिमझिम के गीत, रुके न झड़ी ! एक भावना, उभर कर आई, बरस गई ! बादल संग, आँख मिचौली खेले, पागल धूप ! करे बेताब, ये भयंकर गर्मी, होगी बारिश ! झुका के सर, चुपचाप नहाए, शर्मीले पेड़ ! गीली आँखें, कर गई मन को, हल्का हवा-सा ! ओढ़ चादर, धरती आसमान, फुट के रोए ! मन मचला, हुआ है प्रफुल्लित, नया आभास ! |
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Wednesday, October 19, 2011
Posted by Urmi at 2:29 AM
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23 comments:
दिल को छू लेने वाली कविता
बेहद उम्दा भावो से सजी रचना ... आभार !
बबली जी
नमस्कार !
कोमल अहसासों से भरी रचना जो मन को गहराई तक छू गयी ! सुन्दर प्रस्तुति ........शुभकामनायें !
बहुत खूब लिखा है आपने..बधाई स्वीकारें
नीरज
बधाई इस लाजवाब रचना पे ...
सारे हाइकु बहुत सुन्दर है|आपकी अनुमति मिले तो हाइगा बना सकती हूँ|
Superb
अच्छी लगी आपकी रचना..
सुंदर रचना मुझे अच्छी लगी..बधाई
रोए पर्वत,
चूम कर मनाने,
झुके बादल !
बेहतरीन प्राकृतिक उपालम्भ ..
सुंदर तिपत्तियाँ ....बहुत खूब...
छोटे छोटे छंदों से सजी बड़ी अच्छी कविता!!
बेहद खूबसूरत!
सादर
गीली आँखें,
कर गई मन को,
हल्का हवा-सा !
Bahut Badhiya
बहुत खूब ! लाज़वाब अभिव्यक्ति..
आपने सुंदर हाइकु लिखे हैं. कई भावों को समुचित विविधता के साथ व्यक्ति किया है. खूब.
क्या बात है बबली जी.
बहुत सुन्दर प्रस्तुति है आपकी.
आपने तो बिन मौसम ही बारिश की फुहार से नहला दिया है.
बहुत बहुत आभार.
दीपावली की शुभकामनाएं |अच्छी कविता |
बहुत सुन्दर हाइकू..
मन को छू गयी.
दीपावली की शुभकामनायें.
खूब लिखा है
मन हुआ हर्षित
हाईकू खिले.
सादर बधाई...
very nice...each and every composition..congrats.
गीली आँखें,
कर गई मन को,
हल्का हवा-सा !सुन्दर प्रस्तुति.
बबली जी क्या बात है आनंद आ गया प्रकृति की अनुपम छवि के साथ मन के उदगार ..गजब तुलना ..बहुत बहुत आभार
भ्रमर ५
भ्रमर का दर्द और दर्पण
गीली आँखें,
कर गई मन को,
हल्का हवा-सा !
ओढ़ चादर,
धरती आसमान,
फुट के रोए !
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