एहसास मेरा जीवन था बिखरा बिखरा, बह निकला एक दरिया सा, दिल में तुमने मुझे बसाया, साथ हर मुश्किल में मेरा दिया ! एहसास हो तुम मेरे मन का, धड़कन हो मेरी ज़िन्दगी का, तुम सागर हो तुम साहिल भी, तुम रास्ता भी और मंज़िल भी ! किस्मत से हम एक दूजे से मिले, चलता रहे यूँ प्यार के सिलसिले, जो दिल कहता वो तुम सुन लो, तुम मेरे हो तुम मेरे हो ! ये जनम जनम के रिश्ते हैं, सम्बन्ध प्यार से बनते हैं, तुम्हारे बाहों में हमेशा रहूँ, इस एहसास को जीवन भर पा सकूँ ! |
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Monday, September 27, 2010
Posted by Urmi at 5:58 AM
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31 comments:
bahut sundar kavitaa
तुम सागर हो तुम साहिल भी,
तुम रास्ता भी और मंज़िल भी !
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बहुत ही सुन्दर!
किस्मत से हम एक दूजे से मिले,
चलता रहे यूँ प्यार के सिलसिले
रचना बढ़िया है ...
Beautiful one !!
Best Regards
Sulagna
http://e-senseofspicenfragrance-sulagna.blogspot.com/
तुम सागर हो तुम साहिल भी,
तुम रास्ता भी और मंज़िल भी !
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bahut sundar
बहुत प्यारी कविता है । ईश्वर ही रिश्ते बनाता है , जब चाहता है तब । एक -एक शब्द गहन अनुभूति और सरसता से सराबोर है ।
अल्लाह आप की तमन्ना पूरी करे!
ये अदा बड़ी अच्छी है ...चलो आशिक सा हो जाता हूं
दिल को छू गई आपकी ये रचना...बेहतरीन
very nice ....really nice
सुन्दर रचना. रिश्ता तो केवल इसी जनम का है. आगे की कौन जाने. बोर हो जायेंगे.
बहुत प्यारी ओर सुंदर कविता जी धन्यवाद
bahut hi sundar rachna...
maza aa gaya...
खूबसूरत एहसास ..
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति !!
है यही आशा कि पूरी हो आपकी अभिलाषा. एक अच्छी कविता के लिए बधाई और शुभकामनाएं .
वाह अब तो आप लम्बी लम्बी कवितायें लिखने लगीं ।
Nice poem !!
सम्बन्ध प्यार से बनते हैं..
जब जब ईश्वर चाहता है तब ही रिश्ते बनाता है .
अच्छा है बड़ी रचनाओं में भाव स्पष्ट उभर कर आते हैं..
Wah wah….khoobsoorat prastuti…!
आपकी रचना को पढ़कर तुम मेरे हो फिल्म का गाना भी याद आया
बहुत ही शानदार
बहुत ही प्यारी कविता लिखी है आपने, बहुत बहुत बधाई।
सुंदर रचना
सुन्दर ।
With your permission, I would like to print this one and present it. It is very nicely written. Of course with full credits to you.
If you okay, please email me at arealblogger@gmail.com
आकाश तक फ़ैली
मन की ख्वाहिशों को
शब्दों में कहती हुई
सुन्दर रचना ....
बहुत अच्छी रचना है ...
सुंदर-सरल शब्दों में
सार्थक प्रस्तुति ...
आभार
urmi ji aap ne itna sneh diya hardik abhar hai aap videsh me sahity seva kr rhin hain sukhd hai
aap ke fool ke liye ye pnktiyan hain
bde sukomal fool hain murjhate bin bat
thodi si hi bhool dhoop se ho jate behal
us se bhi koml hridy fool ki kya aukat
fool se jo ghayl huaa us ka khan ilaj
dr. ved vyathit
email -dr.vedvyathit@gmail.com
अच्छी अभिव्यक्ति |
बेहद ख़ूबसूरत और मर्मस्पर्शी रचना प्रस्तुत किया है आपने! इस बेहतरीन रचना के लिए बधाई!
good effort Urmi.:). Happy to see some lines of of my original poemgot good appreciation.
http://alokviews.blogspot.com/
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