गणेश चतुर्थी गणेश तेरा रूप है निराला, कोटि सूर्य का है तुझमें उजाला ! सिंदुर लाल चढ़ाये अपने मन का, सुन्दर लाल विराजे सुत गौरी-शिव का ! हे गणपति तू सबके दुःख दूर करना , संकट में हम सबकी रक्षा करना ! ज्ञानी दानी तू है सिद्धिदाता, सबके लिए तू प्यार बरसाता ! हाथ में लिए लड्डू प्रभु गजानन, सब भक्तों को मिले तेरा दर्शन ! हर गुण से पूर्ण है शिव गौरी नंदन, तुझको भाये कुमकुम केसर चन्दन ! मोतियों का माला चमके तेरे गले पर, खुशियाँ लहराए सबके द्वार पर ! जय श्री गजराज विद्या सुख दाता, गणपति बप्पा तू है विघ्न हरता ! तेरे दर्शन से मिले जीवन में सफलता, झुकाके सिर तेरे पद में मिले प्रसन्नता ! |
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Saturday, September 11, 2010
Posted by Urmi at 5:42 AM
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13 comments:
बहुत अच्छा भजन लिख डाला है आपने।
आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा, “मनोज” पर, मनोज कुमार की प्रस्तुति पढिए!
अब तक समझ नहीं पाया हूँ की लोग कविता कैसे लिख लेते हैं. भालो. गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं.
Beautiful !! Happy Ganesh Chaturthi to and your family.
गणपति वंदना करते हुए बहुत अच्छा कबिता...हम इसको गणपति बंदना ही बोलेंगे!!
इस सुंदर कविता के लिये आप का धन्यवाद.
गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं.
As usual, awesome poetry :)
देवाधिदेव सकल मनोरथ पूर्ण करें.
बहूत ही खूबसूरत वर्णण किया है आपने भगवान लंबोदर का। बधाई हो। गशेश चतुर्थी की।
aapko bhi shubhkamnayen
बहुत सुन्दर। आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
बहुत ही अच्छी पंक्तिया लिखी है .....
.........आभार
एक बार पढ़कर अपनी राय दे :-
(आप कभी सोचा है कि यंत्र क्या होता है ..... ?)
http://oshotheone.blogspot.com/2010/09/blog-post_13.html
गणपति बप्पा मोरिया!
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बहुत सुन्दर रचना है!
बहुत सुन्दर। आपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
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