सदा की साथी माँ पिताजी की आँखों में आँसू न आए, हर कदम पर हम उनका साथ निभाए, बाधा-विपत्ति मुश्क़िलों में न मुँह मोड़े, छोटी सी हर ख़ुशी उनके साथ बांटे ! ज़रूरी नहीं माँ पिताजी को सोना चांदी दे, पर उनका जिगर जले ये कतई होने न दे, उनके प्यार और ममता को पूजे सदा, माँ पिताजी से बढ़कर न है कोई दूजा ! घर का नाम रखे मातृछाया या पितृछाया, पर अपने माँ पिताजी का पड़ने न दे परछाईयाँ, क्यूँ रखें हम दिखाने के लिए ऐसा नाम, सुख शान्ति न रहे ऐसे घर का क्या काम ! माँ पिताजी की आँखें न होने देंगे नम, चाहे उनसे दूर जाएँ पर मुस्कुरायेंगे हम, माँ पिताजी चाहे हमें कितना ही डांटे, पर उनकी इज्ज़त करना कभी न भूलें ! माँ पिताजी ने हमें बोलना सिखाया, उँगलियाँ पकड़कर हमें चलना सिखाया, जीवन के अँधेरे पथ पर रौशनी बनकर रहे, आज उन्हीं की बदौलत इस मुकाम पर पहुँचे ! चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए, पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए, उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली, याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं ! |
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Thursday, September 23, 2010
Posted by Urmi at 9:14 PM
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35 comments:
चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए,
पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए,
उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली,
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !
अक्षरश: सत्य कहा आपने इस प्रस्तुति, बेहतरीन एवं प्रेरक पोस्ट ।
Adarniya babli ji
aaj to aapne bahut hi gehrai se likh diya
ankhe num ho gai
चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए,
पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए,
उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली,
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !
........बेहतरीन एवं प्रेरक पोस्ट ।
आज तो आपने रुला दिया... बहुत ही अच्छी लगी आज की पोस्ट...
घर का नाम रखे मातृछाया या पितृछाया,
पर अपने माँ पिताजी का पड़ने न दे परछाईयाँ,
क्यूँ रखें हम दिखाने के लिए ऐसा नाम,
सुख शान्ति न रहे ऐसे घर का क्या काम !
बहुत ही सुन्दर एवं प्रेरक अभिव्यक्ति ।
आँखें नाम हों गयीं.... बस और क्या कहू....?
ज़रूरी नहीं माँ पिताजी को सोना चांदी दे,
पर उनका जिगर जले ये कतई होने न दे,
उनके प्यार और ममता को पूजे सदा,
माँ पिताजी से बढ़कर न है कोई दूजा !
vaah...maata pita ke liye kitani aadarsh aur pavitr bhaavanaaon ki prstuti hai...
aapke aise jazbaat ko salaam.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।बहुत मार्मिक कविता।
बहुत सही प्रेरणा देती अभिव्यक्ति ....
बहुत ही साकारात्मक , उत्प्रेरक तथा सँस्कारी भावोँ से ओतप्रोत कविता के लिए हार्दिक बधाई! दिल को छू गई आपकी रचना , बहुत ही शानदार। -: VISIT MY BLOG :- ऐ-चाँद बता तू , तेरा हाल क्या है।.........कविता को पढ़कर अपने अमूल्य विचार व यक्त करने के लिए आप सादर आमंत्रित हैँ। आप इस लिँक पर क्लिक कर सकती हैँ।
माँ पिताजी की आँखें न होने देंगे नम,
चाहे उनसे दूर जाएँ पर मुस्कुरायेंगे हम,
बहुत अच्छी पंक्तियां..माता-पिता तो अपना कर्त्तव्य पूरा करते हैं। हम बच्चों का भी कर्त्तव्य है अपने मां-पिता के लिए जिसे हमें नहीं भूलना चाहिए...बहुत अच्छी कविता...
गहरी संवेदना, सुन्दर रचना,
किसी ब्लॉग को फॉलो करें ब्लॉगर प्रोफाइल के साथ
माँ पिता की छाया जिनपर नहीं है वही जानते हैं उनकी छाया का महत्व
बहुत सुन्दर रचना रचा है आपने
nice poem nice subject badhai
babli ji itni khubsurat kavita likhi hain aapne.
hum chahe apne mata pita ko kuch de ya na de par ek cheez to hum de hi sakte hain,aur wo hain apna pyaar,har pal hum unke saath hain iska bharosa,jeevan path par jab unki umar dhalne lage lakdi ki kathi ke bajaay apne majboot haath ka sahara hum unhe de sakte hain.mata,pita isse jyaada kabhi apne baccho se kuch aur nahi mangate hain,hum itna to kar hi sakte hain.
ek baar phir is prerana daayak kavita likhne ke liye main tahe dil se aapko badhai deti hun.
जीवन की डगर में बहुत मुश्किल होता है यह सब ईमानदारी से कर पाना।
आपने सच ही कहा है!
माता-पिता से बढ़कर
इस जहान में कुछ भी नही है!
Bilkul sahi kahaa apne
Aaj ki yuva pidi ko apne Mata Pita se koi Pyar hi nahi hai
Bahut kam hain jo unko Pyar aur Samman dete hain
Bahut Sunder
सरल शब्दों में बहुत गहरी बातें. बड़े दुःख के साथ कहना पद रहा है की हमारे केम्पस में एक परिवार के माता और पिता एक महीने के अंतराल में गुजर गए. दो बच्चे अब अनाथ हो गए (हालाकि वे वयस्क हैं)
चाहे हम कितना ही धन दौलत कमाए,
पर माँ पिताजी के आशीर्वाद बिना अधूरा रह जाए,
उनके वजह से हमें अच्छी ज़िन्दगी मिली,
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !-------------बब्ली जी,बहुत ही सुन्दर और प्रेरणादायक कविता है आपकी---हम सभी को इस कविता में बतायी राह पर चलना चाहिये।
wah! bahut badiya...
बहुत मार्मिक.... प्रेरणा देती अभिव्यक्ति
बहुत सुंदर जी लेकिन आज कल मां बाप कॊ घर से निकल देते है, बहुत से बदनसीब
Very good as usual. I hope my daughter thinks the same way
याद रखें सदा माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !
-बिल्कुल सही कहा.
माँ पिताजी के विकल्प कोई नहीं !...An absolute truth .
जीवन के मर्म को बहुत खूबसूरती से बयां किया है आपने।
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प्यार का तावीज..
सर्प दंश से कैसे बचा जा सकता है?
उर्मी जी, छोटी सी कविता में बहुत बड़ी बात कह दी आपने.सच है कि मां-पिताजी का कोई विकल्प नहीं.
babli jee behad sundar rachna.
aapke is blog par pahli baar aaya aur man khush ho gaya.
bahut hi behtareen post...
aakhein nam ho gayi hain...
मेरे ब्लॉग पर इस बार धर्मवीर भारती की एक रचना...
जरूर आएँ.....
बहुत ही उम्दा विचार हैं आपके ...
बड़ी अच्छी बात कही है आपने...
माँ-बाप का कर्ज संतान कभी नहीं उतार सकती
इस सार्थक प्रस्तुति के लिए आपको आभार .
बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति ।
माँ पिताजी की आँखों में आँसू न आए,
हर कदम पर हम उनका साथ निभाए,
बाधा-विपत्ति मुश्क़िलों में न मुँह मोड़े,
छोटी सी हर ख़ुशी उनके साथ बांटे !
बहुत खूब.माँ बाप की आँखों में आंसू
देखने से मर जाना अच्छा.
bahuuuuuuuuut sahee baat kavita ke madhyam se........
ati sunder
Aabhar
माता और पिता नही होते तो हम भी कहाँ होते
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