कर्त्तव्य कितने नन्हे बच्चे हैं जो ख़ाली पेट सोते, जहाँ तक हो सके हमें उनका ख्याल है रखना, ग़रीबों की मदद करने में ही मिलता है पुण्य , ऐसे नेक कामों से हमें पीछे नहीं रहना ! जिन्हें एक वक़्त खाना नसीब न होता, उन्हें देखकर मन उदास सा हो जाता, जो कुछ मिले उसीसे हमेशा संतुष्ट रहना, इश्वर की दी हुई चीज़ को न कभी ठुकराना ! कुछ लोग रखते हैं पॉकेट में कलम-कागज़, कभी भूले से बम या फिर पिस्तोल नहीं रखते, सदा अपने उसूलों पर ही चलने की कोशिश करते, अपने माता-पिता की बातों पर गौर फ़रमाते ! कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे, कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए, गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें, किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए। |
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Tuesday, June 21, 2011
Posted by Urmi at 12:18 AM
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39 comments:
सदा अपने उसूलों पर ही चलने की करें कोशिश,
अपने माता-पिता की बातों पर गौर फरमाते !
जो करोगे ऐसा, जियोगे दुनिया में गर्व से सर उठाके ||
नहीं तो मिलोगे भैया, हाथ मलते और पछताते ||
बहुत संवेदनशील और सार्थक प्रस्तुति..काश सभी इस बारे में सोचें..
बहुत सही लिखा है आपने.
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कल 22/06/2011को आपकी एक पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की गयी है-
आपके विचारों का स्वागत है .
धन्यवाद
नयी-पुरानी हलचल
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
नन्हे बच्चों के प्रति बहुत ही सुन्दर और सारगर्भित पोस्ट....बधाई स्वीकारें !
संस्कार जो बड़ों से प्राप्त होते हैं उनका समादर ही उनके प्रति श्रद्धा है .
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
......संवेदनशील और सार्थक
kitni hi badi seekh.....bahut sunder prastuti!!
कितने नन्हे बच्चे हैं जो ख़ाली पेट सोते,
जहाँ तक हो सके हमें उनका ख्याल है रखना,
ग़रीबों की मदद करने में ही मिलता है पुण्य ,
ऐसे नेक कामों से हमें पीछे नहीं रहना !
सुंदर अभिव्यक्ति.... संवेदनशील भाव
संतोष सबसे बड़ी बात है जो होनी ही चाहिए....
संतोष है तो सब कुछ है...
सरल और सही बात
wah ...bahut sunder ...!!
'कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए'
आपकी भावनाएँ समाज के लिए हितकारी हैं और मानवीयता से भरी हैं. शुभकामनाएँ.
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
bahut hi saarthak,gyaanverdhak.anoothi rachanaa.badhaai.
please visit my blog.thanks.
बहुत ही संवेदनापूर्ण , भावपूर्ण,मानवीय मूल्यों से युक्त और प्रेरक रचना
हम सब को इसी तरह सोचने और व्यवहार करने की जरूरत है
सार्थक सन्देश देती संवेदनशील रचना
babli ji aaj to aapne man jeet liya, itne umda saleeke se aapne is vishya ko saamne rakhte hue kavita kahi hai ki man bhar aaya...
jiyo jiyo...jai hind !
संसार को समझ और मानवीयता का पाठ पढ़ाने वाली सुन्दर कविता के लिए उर्मि जी आपको बधाई
बहुत सुन्दर !
प्रेरक कविता बहुत बढ़िया है.
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए
ऐसे बच्चों को भी अपनी पहचान बनाने के लिए अवसर दिए जाने की आवश्यकता है।
कविता मन पर प्रभाव छोड़ती है।
सुन्दर,सार्थक प्रेरणापूर्ण व शिक्षाप्रद विचार.
आपका शिष्य बनने का दिल करता है बबली जी.
Very nice
सार्थक बात।
चिंतन करने योग्य विषय।
शब्द संयोजन कहीं कहीं गडबडाया, बाकी भावों में संवेदना की कोई कमी नहीं
बेहतरीन
शुभकामनाएं आपको
कुछ लोग रखते हैं पॉकेट में कलम-कागज़,
कभी भूले से बम या फिर पिस्तोल नहीं रखते,
सदा अपने उसूलों पर ही चलने की कोशिश करते,
अपने माता-पिता की बातों पर गौर फ़रमाते
sunder bat kash sabhi isko samajh ke in baton pr dhyan de
sunder
rachana
संवेदना से भरी मार्मिक रचना।
बेहतरीन प्रस्तुति के लिए आपको हार्दिक धन्यवाद!
सुन्दर और प्यारी अभिव्यक्ति
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
बहुत ही अच्छी प्रेरणा देती हुई रचना.लोगों की संवेदना न जाने कैसे और कहाँ खोती जा रही है.आज के युग में इन विचारों की जरुरत है.
सुन्दर सीख देती रचना
जीवन में अच्छे असूल अपनाना आवश्यक है. बढ़िया पोस्ट.
लाजवाब.. शिक्षाप्रद!!
अच्छी भावनाएं ...
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
bahut sahi kaha hai aapne
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
nice poem
कहीं ऐसा न हो पहचान भी अपनी गवाँ बैठे,
कभी भी वक़्त के किसी धारे में न बह जाए,
गुरुजन की दी हुई सीख को न कभी भूलें,
किसी को चोट पहुँचे, कोई ऐसी बात न कहें जाए।
waaaah!!!!!!
aisi waani boliye mann ka aapa khoye....
khoobsoorat rachna...
bahut hee sateek aur suljhee hui rachna urmi ji...
कुछ लोग रखते हैं पॉकेट में कलम-कागज़,
कभी भूले से बम या फिर पिस्तोल नहीं रखते,
सदा अपने उसूलों पर ही चलने की कोशिश करते,
अपने माता-पिता की बातों पर गौर फ़रमाते !
bahut khoob.bahut achcha likha aapne badhaai.
अच्छी भावनाओं को लेकर रची गई बहुत बढ़िया रचना!
काफी प्रेरणादायक एवं अनुकरणीय कविता है.
बबली जी धन्यवाद बहुत सुन्दर सन्देश --भगवन हम सब के कान पकड़ कर ऐसे ही बनाये रखें
शुक्ल भ्रमर ५
कुछ लोग रखते हैं पॉकेट में कलम-कागज़,
कभी भूले से बम या फिर पिस्तोल नहीं रखते,
सदा अपने उसूलों पर ही चलने की कोशिश करते,
अपने माता-पिता की बातों पर गौर फ़रमाते !
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