जी करता है आके बैठो मेरे सिरहाने तुम, और न सोचो कुछ बहाने तुम ! छूके देखूँ तो मानूँ मैं, सच हो या ख़्वाब हो न जाने तुम ! आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर, क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम? मेरी नज़रों में डालकर नज़रें, ख़ुद ही पढ़लो सारे फ़साने तुम ! जी करता है रूठ जाऊँ मैं, हँसके आ जाओ मनाने तुम ! मेरे सीने पे सर रखकर अपना, यूँ न रहो बनकर बेगाने तुम ! |
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Tuesday, July 12, 2011
Posted by Urmi at 9:13 PM
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32 comments:
छूके देखूँ तो मानूँ मैं,
सच हो या ख़्वाब हो न जाने तुम !
आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर,
क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम?
बहुत कोमल ...बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
वाह.
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
मेरे सीने पे सर रखकर अपना,
यूँ न रहो बनकर बेगाने तुम !
बहुत ही प्यारा मनुहार...कोमल सुंदर रचना...
awesome lines !!!
Loved it and enjoyed it.
आपकी भाव जगत की उडान अनुपम है बबली जी.
नरम नरम कोमल खूबसूरत अहसासों को जगाती हुई,
शब्दों में चेतना का संचार करती हुई.
मधुर स्वप्नों को बुनती हुई.
सुन्दर प्रस्तुति के लिए आभार.
आके बैठो मेरे सिरहाने तुम,
और न सोचो कुछ बहाने तुम !........
सुंदर अभिव्यक्ति....
आके बैठो मेरे सिरहाने तुम,
और न सोचो कुछ बहाने तुम !........
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
bahut khoob babliji .dil ke udagaron ko baakhubi bayaan kiya hai aapne.badhaai aapko.mere blog main aane ka shukriyaa.
आके बैठो मेरे सिरहाने तुम,
और न सोचो कुछ बहाने तुम !........
सुंदर अभिव्यक्ति....
sirahne par sir bathne aur seene par sir rakhne ke baad to bahano ki gunjais hi nahi rah jati hai
Mere blog par translitration kam nahi kar raha hai koi sujhav ho to batayein
बहुत ही सुकोमल मनुहार!!
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
बहुत अच्छा लिख रहीं हैं आप .बधाई .छू कर देखू तो मानू -सच हो या खाब हो तुम .
छूके देखूँ तो मानूँ मैं,
सच हो या ख़्वाब हो न जाने तुम !
आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर,
क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम?
bahuut sunder
rachana
कोमल सुंदर रचना.
कोमल भावों को बेहतरीन तरीके से पेश किया है आपने ...
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति|
बहुत प्यारे भाव...
खूबसूरत रचना...
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
मेरे सीने पे सर रखकर अपना,
यूँ न रहो बनकर बेगाने तुम !
बहुत ही कम शब्दों बड़े ही खूबसूरत और मनभावन अहसास भर दिए इस रचना में आपने.. बहुत सुंदर रचना.. बधाई स्वीकार करें...
बबली जी यही सही रहेगा -
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
वो गाना है ना - तुम रूठी रहो मै मनाता रहूँ की मजा जीने का और कुछ आता है -सुन्दर रचना
भ्रमर ५
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
बहुत सुंदर,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
बहुत सुन्दर शब्द रचना बधाई |
सुन्दर रचना पढवाने के लिए आभार .
छूके देखूँ तो मानूँ मैं,
सच हो या ख़्वाब हो न जाने तुम !
आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर,
क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम?
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति....
आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर,
क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम?
जटिलता से भरा हुआ... :)
छूके देखूँ तो मानूँ मैं,
सच हो या ख़्वाब हो न जाने तुम !
आज भी हूँ मैं फ़िदा तुम पर,
क्या अब भी हो मेरे दीवाने तुम?
bahut hi mithe ahsaas bhare hai inme .sundar .
bahut hi khubsurat likha hai......
हर लाइन लाजवाब
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
बहुत सुंदर
बेहद के खूब -सूरत ख्याल को लफ्जों में पिरोया है .
जी करता है रूठ जाऊँ मैं,
हँसके आ जाओ मनाने तुम !
लाजवाब...वाह
नीरज
bahut pyar samete pyaree rachana.....
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