बम ब्लास्ट
बम ब्लास्ट की आवाज़ जब मुंबई में बरसी,
तब हर जान ख़ुद को बचाने को तरसी,
पलक झपकते ही हो गई तबाही,
मौत के घाट उतार दिए गए सभी !
कुछ इलाके के लोग बेखबर थे,
हमले के स्थल पर लोग शोक मना रहे थे,
न जाने कितने मासूम लोगों की जानें गईं,
परिवार में अपनों की अपूर्णता छा गई !
आख़िर क्यूँ हुआ पहले सा भयंकर हादसा?
है सबके मन में ये एक ही जिज्ञासा,
क़ाश कसब को फांसी मिल गई होती,
आतंकवादी को जीती जागती सीख मिलती !
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
Friday, July 22, 2011
Posted by Urmi at 12:27 AM
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33 comments:
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
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बहुत ही संवेदनशील रचना पोस्ट की है आपने तो!
वाकई इन्सानियत सबसे बड़ा धर्म है!
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है.
absolutely correct.
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
आपकी संवदनशीलता सराहनीय है,बबली जी.
इंसानियत के धर्म को समझ लें सब कोई तो वह ही जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि है.
आपका इस ओर प्रयास प्रेरणादायक है.बहुत सुन्दर प्रस्तुति की है आपने.बहुत बहुत आभार.
मेरे ब्लॉग पर आपने जो सद् विचार प्रस्तुत किये उसके लिए भी मैं आपका आभारी हूँ.
सामयिक...
इस तरह के हादसों में जब निर्दोष लोगों की जान जाती है तो रूह काँप उठाती है..बहुत सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
पीड़ा की सहज अभिव्यक्ति को साथ-साथ
यथार्थ के धरातल पर रची गयी एक सार्थक प्रस्तुति !
पता नहीं कब तक बंद होगा ये सब....
संवेदनशील रचना...
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है
संवेदनशील रचना....प्रेरणादायक प्रयास...
ऐसी तबाही से दिल दहल जाता है . सबसे बड़ा कर्म इंसान की मदद करना है .संवेदनशील रचना है .
वर्तमान दशा का सटीक रचना.....वस्तुतः हम अव्यवस्थातंत्र में जी रहे हैं.
बहुत सार्थक रचना ... आज इंसान में इंसानियत ही नहीं रही ... ऐसे हादसे बहुत पीड़ा देते हैं ..अच्छी और संवेदनशील प्रस्तुति
aisi ghatnayein dekhkar man bechain ho jata hai..jakhm dene wale kash insan ban jaate..insaniyat ko aatamsat kar paate..haiwano ko bhi sochne ke liye bibash karti hui kriti..baise aapki do andaj dekhe..dono hi ras aaye..man ko bhaye...badhayi ke sat
सार्थक पोस्ट, बहुत सुन्दर
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है
सुन्दर मर्मस्पर्शी प्रस्तुति.....इन्सानियत सबसे बड़ा धर्म है
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
सहमत हूँ आपसे, कितना अच्छा होता यदि सम्पूर्ण जगत मे बस एक ही धर्म होता और
वह धर्म होता इंसानियत का.........
आभार उप्रोक प्रस्तुती हेतु. ,
bahut bhaav poorn rachna.is dukhad ghatna ka jitna dhikkar karen kam hai.humaara shasan tantra pangu ho gaya hai.koi ummeed baki na rahi.
सारगर्भित और उत्कृष्ट कविता बधाई और सुखद शुभकामनायें |
मुझे ये बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है की हिंदी ब्लॉगर वीकली{१} की पहली चर्चा की आज शुरुवात हिंदी ब्लॉगर फोरम international के मंच पर हो गई है/ आपकी "aasmaan" उत्कृष्ट प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार को इस मंच पर की गई है /इस मंच पर आपका हार्दिक स्वागत है /आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/इस मंच का लिंक नीचे लगाया है /आभार /
www.hbfint.blogspot.com
मानव धर्म की ओर इंगित करती आप की रचना ऐसे हादसों की त्रासदी की दुखदायी तस्वीर भी दे जाती है.
महत्वपूर्ण पोस्ट.
waqt ke saanche men dhhali hui rachna...jo dil men utarne ka hunar rakhri hai.....
pahli baar pda aaj aapko....
achha laga...
aage bhi padna chahunga...
join kar rha hun..
mere blog par aapka swagat hai....
वाह. संवेदनशील.
बिना रीढ़ के प्रजातंत्र में और हो भी क्या सकता है .इंसानियत ५%फीसद लोगों की देश को चलाये है .
प्रिय बबली जी हार्दिक अभिवादन -बेहद मार्मिक ,दर्दीली रचना ,मुम्बई तो शिकार का अड्डा बन गया है ,रक्षक सोये पड़े हैं आतंकी मुर्गा छान रहे हैं .क्या होगा इस देश का यही ऐसे ही चलता ??
आप के ब्लॉग बहुत सुन्दर है इंग्लिश के ब्लॉग भी खुबसूरत ..
शुक्ल भ्रमर ५
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
bahut acchi kavita saarthak visay par
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
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यथार्थ के धरातल पर रची बहुत ही संवेदनशील सार्थक अभिव्यक्ति के लिए आभार!
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
Sach kaha aapne...
dil ka dard ubhar aaya padh kar...!
पता नहीं ऐसी घटनाओं से कब मुक्ति मिलेगी विश्व को ,...अभी कुछ दिन पहले नार्वे में भी ....
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है !बहुत सार्थक रचना !
You're right. 'Humanity' is the need of the hour. Thanks for being so sensitive towards the victims.
सच्ची सटीक बात कही है आपने...
नीरज
सीधी सच्ची बात...
दुःख होता है ऐसे हादसे होते हुए देखकर,
अपने देश को बर्बादी से बचाना है मिलकर,
हालात तो ये हो गए हैं कि
हर शख्स अपनी तस्वीर को बचा कर निकले,
ना जाने किस मोड पर किस हाथ से पत्थर निकले
saamyik samvedansheel abhivykti.....
इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है,
इंसान की मदद करना सबसे बड़ा कर्म है !
--saty vachan.....
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