आसमान इतने बड़े आसमान में से, एक कोना ही हमें दे देते, कोई नाम न हम तुम्हें देते, तुम हमें कोई नाम नहीं देते ! कितने खेल खेल लेते हो, कभी धूप कभी बारिश बनके, छाँव में बैठ तुम्हें निहारूँ तो, काश सुना पाती दर्द मन के ! कभी इशारे से जो मुझे कहते, तुम्हें दिल का हाल सुनाती, तुमसे कुछ पूछूँ तो भला कैसे, जवाब तुमसे कुछ नहीं मैं पाती ! ढूँढ़ रही हूँ ख़ुशी मैं हर तरफ़, न जाने कब कहाँ मिलेगी, तुमसे ही उम्मीद मुझे बाकी, तेरे आंगन मेरी बगिया खिलेगी ! |
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Sunday, July 17, 2011
Posted by Urmi at 8:57 PM
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33 comments:
jawaab ki talaash to humko bhee hai kayee zamaano se....
khoobsoorat abhivyakti Babliji...
meri nayi post "ehsaas" pe aapka swaagat hai!
सुंदर आशा ...
सुंदर अभिव्यक्ति ...
sunder :)
:clap: :clap:
कभी इशारे से जो मुझे कहते,
तुम्हें दिल का हाल सुनाती,
तुमसे कुछ पूछूँ तो भला कैसे,
जवाब तुमसे कुछ नहीं मैं पाती !
भावपूर्ण सुन्दर कविता...खूबसूरत चित्र ...खूबसूरत प्रस्तुति...
ढूँढ़ रही हूँ ख़ुशी मैं हर तरफ़,
न जाने कब कहाँ मिलेगी,
तुमसे ही उम्मीद मुझे बाकी,
तेरे आंगन मेरी बगिया खिलेगी !
कस्तूरी मृग में बसे,मृग ढूंढे बन माहि
आपकी 'उम्मीद' में ही तो सब खुशियाँ समाई
हुई हैं.
खुशी को आप कहाँ ढूँढ रही हैं,बबली जी,खुशी ही आपको ढूँढ रही है.
जिसकी आप हैं उसी का तो है सारा आसमान और ये जहाँ है.फिर आप तो मालकिन हुई इन सभी की.
आपकी भावपूर्ण प्रस्तुति से मन गद गद हो गया है.आभार.
इतने बड़े आसमान में से,
एक कोना ही हमें दे देते,.........
सुंदर अभिव्यक्ति ...
कितने खेल खेल लेते हो,
कभी धूप कभी बारिश बनके,
छाँव में बैठ तुम्हें निहारूँ तो,
काश सुना पाती दर्द मन के !
kuchh khubsurat ban padi hai ye panktiyan....!!
pyari si rachna..
जितना सुंदर चित्र, उतनि ही सुंदर रचना!
खूबसूरत चित्र ...
सुन्दर कवितायें बार-बार पढने पर मजबूर कर देती हैं......आपकी कवितायें उन्ही सुन्दर कविताओं में हैं !
कितने खेल खेल लेते हो,
कभी धूप कभी बारिश बनके,
छाँव में बैठ तुम्हें निहारूँ तो,
काश सुना पाती दर्द मन के bahut sunder prastuti babliji dil ko choo gai.badhaai aapko.
please visit my blog.thanks
सुंदर आशा ...
सुंदर अभिव्यक्ति ...
इतने बड़े आसमान में से,
एक कोना ही हमें दे देते,
खूबसूरत प्रस्तुति...
ढूँढ़ रही हूँ ख़ुशी मैं हर तरफ़,
न जाने कब कहाँ मिलेगी,
तुमसे ही उम्मीद मुझे बाकी,
तेरे आंगन मेरी बगिया खिलेगी !
वाह... बहुत खूबसूरत...
कोई नाम न हम तुम्हें देते,
तुम हमें कोई नाम नहीं देते !
bahut sunder.......
सुंदर अभिव्यक्ति .
खूबसूरत अभिव्यक्ति ...
बुत ही खूबसूरत अभिव्यक्ति ....
कितने खेल खेल लेते हो,
कभी धूप कभी बारिश बनके,
छाँव में बैठ तुम्हें निहारूँ तो,
काश सुना पाती दर्द मन के !
आन्तरिक भावों के सहज प्रवाहमय सुन्दर रचना....
हृदयस्पर्शी भाव हैं ,बहुत सुंदर लिखा है |
बहुत अच्छी सार्थक अभिव्यक्ति|
सुंदर भावनायें , सुंदर रचना.
kafi acchi poem hain...
dil se nikali hain
सुन्दर भाव लिये बहुत सकारात्मक प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
सुंदर अभिव्यक्ति ,
विवेक जैन vivj2000.blogspot.com
ढूँढ़ रही हूँ ख़ुशी मैं हर तरफ़,
न जाने कब कहाँ मिलेगी,
तुमसे ही उम्मीद मुझे बाकी,
तेरे आंगन मेरी बगिया खिलेगी !
सुंदर भावना. बधाई स्वीकारें
प्यारी रचना
Very nice poem
nice poem...
हर कोई चाहता है एक मुठ्ठी आसमान .प्रेम के अभाव में आदमी अ-प्रयोज्य (वेस्तिजियल )अंग हो जाता है .
हर कोई चाहता है एक मुठ्ठी आसमान .प्रेम के अभाव में आदमी अ-प्रयोज्य (वेस्तिजियल )अंग हो जाता है .प्रेम बिना जग सूना -तुम बिन जाऊं कहाँ ?
bahut achche bhaavon ko sanjoye hue hai yeh kavita.
बबली जी इतने इशारे क्या कम है अब कोई नाम दो ..कोना क्या सारा जहाँ ले लो ..ख़ुशी ही ख़ुशी ही तो है हर जगह ..सुन्दर रचना कवियित्री की कल्पना लाजबाब है
शुक्ल भ्रमर ५
कितने खेल खेल लेते हो,
कभी धूप कभी बारिश बनके
कभी इशारे से जो मुझे कहते,
तुम्हें दिल का हाल सुनाती,
sunder abhivykti.
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