सपनों की गलियों में तुम्हारी आवाज़ सुनकर लगा ऐसे, लम्बे-अँधेरे सफ़र में दूर कहीं, दिख गया हो कोई दीपक जैसे ! एक मुलाकात से महसूस होता है ऐसे, मेरे ही सपनों की गलियों में कहीं, कोई मंज़िल की राह दिखा गया हो जैसे ! कभी कोई ख्याल आता है तुम्हारा, मेरे दिल को छू जाता है ऐसे, तुमसे मिलने की आस जगी हो जैसे ! दूर रहकर भी पास रहती हूँ मैं ऐसे, मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं, मिल गए हों ज़मीं और आसमां जैसे ! सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही, "तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?" ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहती हूँ ! |
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Thursday, July 28, 2011
Posted by Urmi at 9:25 PM
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36 comments:
सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही,
"तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?"
ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहती हूँ !
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
बस लिखती रहिए!
हम पढ़ते रहेंगे!
लम्बे-अँधेरे सफ़र में दूर कहीं,
दिख गया हो कोई दीपक जैसे !
मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं,
मिल गए हों ज़मीं और आसमां जैसे !
वाह... और क्या...
वाह... और क्या...
बहुत सुन्दर रचना लिखी है आपने!
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
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बहुत ही बेहतरीन लिखा है...
सुंदर अभिव्यक्ति .
"दूर रहकर भी पास रहती हूँ मैं ऐसे,
मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं,
मिल गए हों ज़मीं और आसमां जैसे !"
प्रेम में यह सब होता ही है. गुरुदेव ने 'संध्या संगीत' में कितने सुन्दर शब्दों में अभिव्यक्त किया है ;
फूल फुटे, आमि आर देखिते ना पाइ.
पाखी गाहे, मोर काछे गाहे ना से आर.
दिल से निकली बातें दिल तक पहुंचतीं हैं.
आपकी भोली भाली प्यार भरी बातें
मधुरता और कोमलता का अहसास
करा जातीं हैं.
सुन्दर भावपूर्ण प्रस्तुति के लिए बहुत बहुत
आभार,बबली जी.
ये दिल मुझसे,मैं दिल से अक्सर कहती हूँ !
............बहुत प्यारी रचना
सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही,
"तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?
मैं नहीं जानता इन पंक्तियों में अंतर्मन की पीड़ा है या भावनाएं , किन्तु रचना बहुत प्रभावपूर्ण है , बधाई
उर्मि जी बहुत ही सुन्दर कविता बधाई और शुभकामनायें |
बहुत सुन्दर ,अनुपम प्रस्तुति के लिए आभार |
बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति
दूर रहकर भी पास रहती हूँ मैं ऐसे,
मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं,
मिल गए हों ज़मीं और आसमां जैसे !
...bahut badiya bimb ke saath sundar pyarbhara tarana..
amazing
bahut hi khubsurat abhiwaykti....
jai hind jai bharat
Very good.
(( सुन्दर रचना ))
जब दिशा मिल जाए तो उद्देश्य में सफलता अवश्य मिलती है
सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही,
"तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?"
ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहती हूँ !
बहुत कोमल...बहुत सुन्दर भाव....
diil की bechaini है यह !सुन्दर
सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति .
सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही,
"तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?"
ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहती हूँ !
आपने बहुत सुन्दर शब्दों में अपनी बात कही है। शुभकामनायें।
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, खूबसूरत अभिव्यक्ति .......शुभकामनायें ।
तारीफ के लिए हर शब्द छोटा है बबली जी - बेमिशाल प्रस्तुति - आभार.
सोचती हूँ मैं हर लम्हा हर पल ये ही,
"तुम ख़ुद कोई ख़्वाब तो नहीं हो मेरा?"
ये दिल मुझसे, मैं दिल से अक्सर कहती हूँ !
sunder abhivyakti
badhai
rachana
तुम्हारी आवाज़ सुनकर लगा ऐसे,
लम्बे-अँधेरे सफ़र में दूर कहीं,
दिख गया हो कोई दीपक जैसे !
बहुत ही बेहतरीन रचना बब्लीजी /दिल को छु गई /मेरे ब्लॉग पर आने के लिए धन्यवाद /
वाह. बहुत सुंदर
कभी कभी ही ऐसी रचनाएं पढने को मिलती हैं।
बधाई
कभी कोई ख्याल आता है तुम्हारा,
मेरे दिल को छू जाता है ऐसे,
तुमसे मिलने की आस जगी हो जैसे !
aisa nahi ki sirf ye teen panktiyan ke mujhe bhayeen hain...puri ghazal hi raas aayi hai..badhayee
मेरी उम्मीदों के क्षितिज पर कहीं,
मिल गए हों ज़मीं और आसमां जैसे !...बहुत भावपूर्ण रचना...आभार
khoobsoorat rachna..pyar bhari..
http://teri-galatfahmi.blogspot.com/
अपने शहर को लेकर बहुत सुन्दर अभिव्य्कति दी है आपने!
बहुत ही खूबसूरत!!
सुन्दर प्रस्तुति........बबली जी
भावमय करते शब्दों के साथ गजब का लेखन ...आभार ।
...क्या भारतीयों तक पहुच सकेगी यह नई चेतना ?
Posted by veerubhai on Monday, August 8
Labels: -वीरेंद्र शर्मा(वीरुभाई), Bio Cremation, जैव शवदाह, पर्यावरण चेतना, बायो-क्रेमेशन /http://sb.samwaad.com/ ज़िन्दगी खाब है ,खाब में झूठ क्या और भला सच है क्या ?bahut achhi rachnaa ,bablee ji.mubaarak.
रक्षाबंधन एवं स्वाधीनता दिवस के पावन पर्वों की हार्दिक मंगल कामनाएं.
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