चेहरा चिंता और प्यार का संगम देखा, झुर्रियों की तह के पीछे, डबडबाती हुई आँखों में अजीब सी चमक, और चेहरे पे एक खोखली सी हँसी देखी ! अपने हाथों की लकीरों को देखती हुई आँखें, जैसे अब भी कुछ होने का इंतज़ार है, फिर देखती हुई पल्लू में पड़ी एक गाँठ को, जैसे जीवन भर की दास्तान उसमें समाई हो ! कुछ बीती और बिखरी यादों की पनाह में, लगा जैसे उनकी एक ज़िन्दगी चल रही है, वर्त्तमान के खांचे में नज़र आए, जैसे अतीत की खिड़की खुल रही है ! कुछ सोचते हुए आँखें भर आईं उनकी, आँखों में अब भी दर्द झलकता है, और चेहरे पे उभर आयी है... एक जानी पहचानी सी मुस्कान ! |
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Sunday, July 3, 2011
Posted by Urmi at 9:32 PM
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35 comments:
सुंदर भावपूर्ण अभिव्यक्ति
बहुत खूब ..सुन्दर अभिव्यक्ति
bahut dardmai,bhavmai prastuti badhaai sweekaren.
भाव मयी अभिव्यक्ति
Upon reaching the age acquire the gift of wisdom, a great pleasure going through your house.
happy week.
बहुत सुन्दर | हृदयग्राही ||
beautyful poem...so touchng
chote sabdo me bahut kuch kahne wali rachna
amazing
"samrat bundelkhand"
सुंदर चित्र, उतनि ही सुंदर रचना आपकी आभार.
भावपूर्ण अभिव्यक्ति.
चहरे के भावों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है
बबली जी आपने .आपकी संवेदनशीलता को नमन है मेरा.आपकी अभिव्यक्ति से आपके कोमल भावुक हृदय के दर्शन होते हैं.
अपने हाथों की लकीरों को देखती हुई आँखें,
जैसे अब भी कुछ होने का इंतज़ार है,
फिर देखती हुई पल्लू में पड़ी एक गाँठ को,
जैसे जीवन भर की दास्तान उसमें समाई हो !
बहुत रचनात्मक पंक्तियाँ जो एक परिपक्व आयु की तस्वीर खींच देती है. सुंदर कविता.
कुछ सोचते हुए आँखें भर आईं उनकी,
आँखों में अब भी दर्द झलकता है,
और चेहरे पे उभर आयी है...
एक जानी पहचानी सी मुस्कान !
khoob....Bahut badhiya abhivykti
कुछ बीती और बिखरी यादों की पनाह में,
लगा जैसे उनकी एक ज़िन्दगी चल रही है,
वर्त्तमान के खांचे में नज़र आए,
जैसे अतीत की खिड़की खुल रही है !
sunder abhivyakti sunder shbadon me
rachana
बहुत ही भावपूर्ण!!
कुछ बीती और बिखरी यादों की पनाह में,
लगा जैसे उनकी एक ज़िन्दगी चल रही है,
वर्त्तमान के खांचे में नज़र आए,
जैसे अतीत की खिड़की खुल रही है !
कोमल भावनाओं से भरी सुन्दर रचना....
हृदयस्पर्शी भावाभिव्यक्ति .......
रचना के साथ चित्र का संयोजन अद्वितीय
वृद्धावस्था में सार्वभौमिक अनुभव होने लगते है तब बड़ी चतुराई से वृद्ध जन अपनी भावनाओं को चेहरे से हटा देते हैं . आवश्यकतानुसार . सही उल्लेख किया
बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
बहुत सुंदर भाव और अभिव्यक्ति....
lovely poem
sundar atisundar vah vah .....
This is a post which u can simply call AWESOME !!!!
Very beautifully written.
Chehra sab bolta hai :)
झुर्रियों के पीछे का प्यार और चिंता ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !
marmik kaveetaa
पल्लू में पड़ी एक गाँठ से सचमुच एक चेहरा आँखों में उतर सा आया है..
उर्मि जी ये पंक्तियाँ मन को छू गई , धीरे से -
अपने हाथों की लकीरों को देखती हुई आँखें,
जैसे अब भी कुछ होने का इंतज़ार है,
फिर देखती हुई पल्लू में पड़ी एक गाँठ को,
जैसे जीवन भर की दास्तान उसमें समाई हो !
सुन्दर अभिव्यक्ति
आदरणीय बबली जी
नमस्कार !
चहरे के भावों को बहुत खूबसूरती से उकेरा है.... आपने
......बहुत ही भावपूर्ण!!
अस्वस्थता के कारण करीब 20 दिनों से ब्लॉगजगत से दूर था
आप तक बहुत दिनों के बाद आ सका हूँ,
झुर्रियों की तह के पीछे,
डबडबाती हुई आँखों में अजीब सी चमक,
और चेहरे पे एक खोखली सी हँसी देखी !
भावों की जीवंत अभिव्यक्ति ! कविता पढ़ते हुए आखों के सामने चेहरा नाच जा रहा है. चिंता और प्यार के बीच समन्वय बनता चेहरा. बधाई हो.
बहुत ही प्यारी सी कविता और बहुत भावनात्मक सोच बधाई और शुभकामनायें |
चिंता और प्यार का संगम देखा,
झुर्रियों की तह के पीछे,
डबडबाती हुई आँखों में अजीब सी चमक,
और चेहरे पे एक खोखली सी हँसी देखी !
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बहुत सुन्दर चित्रण!
सुंदर.....
ढूँढ़ रही हूँ ख़ुशी मैं हर तरफ़,
न जाने कब कहाँ मिलेगी,
apne man men dhoondho vhan milegi
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