मेरा शहर मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, अब किसी के पास बात करने का वक़्त कहाँ ! मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, कभी बहारों का आशियाना था जहाँ, अब पतझड़ के पेड़-सा लगता है सुना ! मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, वो वक़्त गया जब एक दूजे के लिए जीते, आज वही लोग सब स्वार्थी बन गए ! मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, कभी दोस्त जो लगते थे अपने, अब सारे लोग अजनबी-से लगने लगे !मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही, खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं, अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, ख्वाहिश है इसके ज़र्रों में ज़िन्दगी भरूँ, आने वाले सुनहरे कल के साथ हर खुशियाँ समेटूँ ! मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा, कभी खोया, कभी पाया, जैसे समंदर की लहर, रह-रहकर अब सपनों में भी रुलाता मेरा शहर ! |
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Thursday, August 4, 2011
Posted by Urmi at 11:09 PM
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36 comments:
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
ख्वाहिश है इसके ज़र्रों में ज़िन्दगी भरूँ,
आने वाले सुनहरे कल के साथ हर खुशियाँ समेटूँ !
BAHUT KHOOB, BUS AB YAHI ICCHA HAI KI SAHAR RANG NA BADLE ...........PR YAHA TO SAB PARIVERTAN SHEEL HAI ...............KHUBSURAT RACHNA
शहर के लोंग बदल गए इसीलिए शहर भी बदला स लगता है ...अच्छी प्रस्तुति
बहुत ही बढ़िया।
सादर
बहुत ही बढ़िया
लिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा
Change is the law of the nature but it has to be in the right direction.
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !
Babali Ji..ekadam sahee aur sateek rachana..aabhar
welcome to my blog...
लोगों से बनाता है शहर और उनके बदलते चरित्र से बदलता है शहर!! अच्छी अभिव्यक्ति!!
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही,
खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !........................वाह बहुत खूब
अपना शहर ....अपनी वो गालियाँ ....कब परायी हो गई पता भी नहीं चला .....
अपना बीता हुआ वक़्त याद आ गया ...
खुद के शहर छोड़ने का सबब याद आ गया ....(अनु )
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही,
खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !
बेहतरीन...
लोगों की वजह से ही शहर शहर होता है .लोग बदल जातें हैं ,शहर छोड़ के चले जातें हैं संगी साथी शहर शहर नहीं रहता ,डगर डगर नहीं रहती .पेड़ पेड़ नहीं रहता ,हवा हवा नहीं रहती .कृपया यहाँ भी आयें नै पोस्ट पर दस्तक दें .शुक्रिया बबली जी ।
http://veerubhai1947।blogspot.com/
शुक्रवार, ५ अगस्त २०११
एक तलब से दूसरी की तरफ जाया जा सकता है ?
बबली जी
एक ऐसा कविता जिसने शहर के बहाने बहुत कुछ कह दिया है .. मन में बसती हुए शब्द ...
आभार
विजय
कृपया मेरी नयी कविता " फूल, चाय और बारिश " को पढकर अपनी बहुमूल्य राय दिजियेंगा . लिंक है : http://poemsofvijay.blogspot.com/2011/07/blog-post_22.html
बहुत ही खूबसूरत पोस्ट बधाई उर्मि जी
kamaal kar diya babli jee
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
वो वक़्त गया जब एक दूजे के लिए जीते,
आज वही लोग सब स्वार्थी बन गए !
सुन्दर एहसास....
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
ख्वाहिश है इसके ज़र्रों में ज़िन्दगी भरूँ,
आने वाले सुनहरे कल के साथ हर खुशियाँ समेटूँ !
बहुत सुन्दर प्रभावशाली प्रस्तुति, सुन्दर अभिव्यक्ति , आभार
बहुत भावपूर्ण रचना
बहुत ही बढ़िया...आभार
कमाल की अभिव्यक्ति है आपकी.
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही,
खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !
आपके प्यार और जज्बात को सलाम.
प्यार और जज्बात होंगें तो शहर फिर से जरूर बस जायेगा.मुझे बताइये मै आपके शहर में कब आऊं.
वैसे 'ब्लॉग जगत' का शहर भी तो आपने बहुत खूबसूरती से बसाया हुआ है.
सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए आभार,बबली जी.
दिल ko छू जाने वाली रचना .आभार
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !
Man ke gahare bhav.... Bahut Sunder
शायद आधुनिकता का प्रकोप छा गया हो ! अद्भुत , सुन्दर कवीता !
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
ख्वाहिश है इसके ज़र्रों में ज़िन्दगी भरूँ,
आने वाले सुनहरे कल के साथ हर खुशियाँ समेटूँ !
shahr sach me badal gayen hai
rachana
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी खोया, कभी पाया, जैसे समंदर की लहर,
रह-रहकर अब सपनों में भी रुलाता मेरा शहर !
बहुत सुन्दर एवं मर्मस्पर्शी रचना !
हार्दिक शुभकामनायें !
शहर भी बदलता रहा और शहरी भी बदलते रहे , अनवरत क्रम में अब हवाएं भी बदल चुकी हैं
लोगों से बनाता है शहर और उनके बदलते चरित्र से बदलता है शहर!
very nice lines..:)
Nice Poem..Happy Friendship Day !!
मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं,आपकी कलम निरंतर सार्थक सृजन में लगी रहे .
एस .एन. शुक्ल
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,आसमाँ है वही, हवाओं में है खुशबू वही,
खो गया है वो प्यार, वे जज़्बात कहीं !
बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !
bahut khoob...
आधुनिकता की अंधी दौड़ में गुम हो रहे संबंधों और संवेदनाओं की पीड़ा को भावपूर्ण शब्द देती सुन्दर रचना
मेरा शहर जो रंग बदलता ही रहा,
कभी फूलों की तरह खिलता था बचपन यहीं,
अब बिखर गया है टूटे दर्पण-सा कहीं !..बहुत सुन्दर प्रस्तुति....मन को छू लिया...
Very nice.
I felt very sad too.
बढ़िया यादें, शुभकामनायें आपको !
बहुत भावपूर्ण कविता !जहाँ हम रहते हैं , वहाँ से हमारा जुड़ाव भी आत्मीय हो जाता है
babli ji
aaj to aapki kavita ek naye jajbaat me jhalki .
bahutit hi sarthak v yatharth chitran kiya hai aapne
bahut bahut badhai
dhanyvaad sahit
ponam
Babli Ji,
Greetings for the day & have smiling day every day.
Thanks for visiting my blog-Panchhi-the media guru.
Actually these days im bz in the preparations to bring out my new magazine-'NRI ACHIEVERS, based on the indians living abroad & raising the name of our gr8 country.
Iv been going thru ur blog.
Its amazing.
Keep on doing so many things.
Regards,
Kindly convey ur mail id.
char panktiyan arz hen: na chhedo is gulab ko,
mahekne do khyal ko,
ki phul per is,
unki ungaliyon ke nishan hen baaki.
Rajeev Panchhi
panchhi.r@gmail.com
09650777721
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