शब्दों के अश्क
कलम ये जब-जब रोती है, शब्दों में अश्क पिरोती है ! अश्कों में स्याही घुलकरके, गीतों के दुःख में सोती है ! इक हाथ से ज़ख्म दिया करती, दूजे से मरहम दे रोती है ! तेरी कमी में बिखरती हूँ, तेरी यादें नयन भिगोती हैं ! रात बढ़ते ही सन्नाटा छाए, तेरे बगैर अब कुछ न भाए ! है पहचान हमारी बरसों की, फिर भी लगे यूँ कि हो अजनबी ! अब न कुछ लिखना चाहे, ये कलम यूँ मुरझाना चाहे ! सिर्फ़ अश्क ही अपने साथ रहे, तुझे पास बुलाकर दर्द कहें ! |
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Thursday, August 11, 2011
Posted by Urmi at 3:16 AM
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29 comments:
शब्दो के अश्क की ग़ज़ल बिल्कुत शीर्षक के अनुरूप है!
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बहुत बढ़िया!
वाह बहुत ही सुन्दर
रचा है आप ने
अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है !
wah kya sher kahe hain aapne babliji.bahut hi bemisaal gajal jo ashkon ke saath kagaj per kalam ke saath bah rahi hai.badhaai aapko/
अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है ! ...सुन्दर भाव ,सुन्दर गजल...
सुन्दर भावाभिव्यक्ति बधाई |
अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है !
bhawpoorn, atisundar rachana..aabhar
welcome to my blog..
इक हाथ से ज़ख्म दिया करती,
दूजे से मरहम दे रोती है !
सुन्दर भावाभिव्यक्ति... मर्मस्पर्शी रचना...
कलम ये जब-जब रोती है,
शब्दों में अश्क पिरोती है !
Bahut Sunder...
खूबसूरत अल्फाज ... बड़ी कुशलता से पिरोने के लिये बधाई ..........किसी कवि की लाइनें याद आती है
'वियोगी होगा पहला कवि,आह से निकला होगा गान;
निकल कर आँखों से चुपचाप, बही होगी कविता अनजान".
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उर्मि चक्रवर्ती जी
नमस्ते !
बढ़िया नज़्म लिखी है -
है पहचान हमारी बरसों की
फिर भी लगे यूँ कि हो अजनबी
हमारी भी पहचान कोई 15-17 महीनों से तो है … लेकिन आपके नए नए रूप देख कर लगता है अभी अजनबी ही हैं :)
हार्दिक बधाई और मंगलकामनाएं !
रक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाओ के साथ
-राजेन्द्र स्वर्णकार
बबली जी ,कहाँ से लातीं है आप इतनी पीर.
आपकी लेखनी लगता है आपके दिल का
सच्चाई से बयान कर देती हैं.
अदभुत हैं आपका हर शब्द, जो दिल को छूता है.
'तेरी कमी में बिखरती हूँ,
तेरी यादें नयन भिगोती हैं !'
आपके पावन हृदय को नमन.
आपकी लेखनी को नमन.
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल.आपकी ग़ज़लों में पहले की तुलना में काफी वजन आ गया है.बधाई.
बहुत ही सुन्दर
कलम ये जब-जब रोती है,
शब्दों में अश्क पिरोती है ! बहुत ही सुन्दर भाव
behatarin ... rachana
बहुत सुन्दर और मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
सुन्दर अभिव्यक्ति...दिल को छूने वाली|
बधाई...
हर शब्द बहुत ही सुन्दर .....
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं.
words have no limit and they can express each and every feeling of yours
u write superbly
love to read ur poems
सुन्दर भावाभिव्यक्ति .
स्वतन्त्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ.
बहुत खूब....बहुत ही उम्दा ग़ज़ल है..
ek hee shabd....
"waah"
तेरी कमी में बिखरती हूँ,
तेरी यादें नयन भिगोती हैं !
bhavbheeni rachna...
bahut ki sahi tareeke se ek shandar kavita likhi h
really super duper like
सुन्दर रचना बधाई और शुभकामनाएं
सुन्दर रचना बधाई और शुभकामनाएं
कलम ये जब-जब रोती है,
शब्दों में अश्क पिरोती है !
अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है !
बेहतरीन शब्दों के अश्क समेटे अति सुन्दर गजल
सादर शुभ कामनाएं !!!
कलम ये जब-जब रोती है,
शब्दों में अश्क पिरोती है !
अश्कों में स्याही घुलकरके,
गीतों के दुःख में सोती है !
बेहतरीन शब्दों के अश्क समेटे अति सुन्दर गजल
सादर शुभ कामनाएं !!!
Bahut behatareen prastuti... Ati bhavpurna abhivyakti...
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