मातृ दिवस आज बैठे बैठे मेरी आँखें भर आयी, माँ की याद दिल को छूने चली आयी, रोने पर माँ भागकर मुझे गोद में उठाती, अपने आँचल से मेरा मुँह पोछती ! रोज़ सुबह मुझे जगाती, सीख सिखाती, रात को मीठी मीठी लोरी गाती, मैं अपने दुःख-दर्द सुनाती माँ को, माँ से बढ़कर अच्छी सहेली न मिली मुझको ! सारे कष्ट माँ ख़ुद झेलती, फिर भी कभी उन्हें थकावट नहीं आती, माँ है एक ऐसी पाठशाला, जिसमें हम जपते हैं प्रेम की माला ! माँ फूलों की गुलदस्ता है, हर तरफ अपनी ख़ुशबू बिखेरती है, माँ एक ऐसी उपन्यास है, जिसका शीर्षक सिर्फ़ प्रेम है ! माँ के आंचल में है आशियाना हमारा, माँ देती है सदा शीतल छाया, माँ इंसान के रूप में है भगवान, मातृ दिवस पर माँ तुम्हें सादर प्रणाम ! |
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Sunday, May 8, 2011
Posted by Urmi at 7:09 AM
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23 comments:
सुन्दर रचना!
मातृदिवस की बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
Very nice. Happy Mother's Day :))
माँ की ममता
और महानता के लिए
कहा गया एक-एक शब्द
आपके काव्य को
दिव्य बना गया है ....
सुन्दर , अनुपम रचना के लिए बधाई .
उर्मि जी आपने माँ के अनोखे रूप का सुन्दर चित्र खींचा है आपकी ये पंक्तियाँ सीधे दिल में उतर जाती हैं-
माँ फूलों की गुलदस्ता है,
हर तरफ अपनी ख़ुशबू बिखेरती है,
माँ एक ऐसी उपन्यास है,
जिसका शीर्षक सिर्फ़ प्रेम है !
माँ के आंचल में है आशियाना हमारा,
माँ देती है सदा शीतल छाया,
माँ इंसान के रूप में है भगवान,
मातृ दिवस पर माँ तुम्हें सादर प्रणाम !
अद्भुत कविता माँ को याद करना ईश्वर को याद करना है |बधाई और शुभकामनाएं |
मात्री दिवस पर उचित उदगार!! काश हम हर रोज मात्री दिवस मनाते!!
माँ के आंचल में है आशियाना हमारा,
माँ देती है सदा शीतल छाया,
माँ इंसान के रूप में है भगवान,
मातृ दिवस पर माँ तुम्हें सादर प्रणाम
बहुत सुंदर भाव ....प्यारी रचना
तू कितनी भोली है ,तू कितनी प्यारी है
प्यारी प्यारी है ,ओ माँ ओ माँ
आपकी माँ के प्रति व्यक्त की गई कोमल और दिल को छूती भावनाओं को हृदय से नमन.
आप मेरे ब्लॉग पर अभी तक क्यूँ नहीं आयीं ?
मेरी नई पोस्ट पसंद नहीं आई आपको ?
माँ है एक ऐसी पाठशाला,
जिसमें हम जपते हैं प्रेम की माला !
बेहतरीन कविता
मातृ दिवस पर सुन्दर भाव। बधाई।
रोज़ सुबह मुझे जगाती, सीख सिखाती,
रात को मीठी मीठी लोरी गाती,
मैं अपने दुःख-दर्द सुनाती माँ को,
माँ से बढ़कर अच्छी सहेली न मिली मुझको !
kya baat hai ...
bahut sunder rachna...
इनसे बड़ा कोई नहीं इस दुनिया में, भगवान् को कभी नहीं देखा ....अगर मानव जीवन की बात करें तो जिन्हों जन्म दिया वे तो यही हैं !
नमन ....
माँ है एक ऐसी पाठशाला,
जिसमें हम जपते हैं प्रेम की माला !
और फूल को फूल थमा दिया दोनों ही बहुत प्यारी रचना
उर्मी जी माँ होती ही है प्रेम की खान , त्याग वलिदान से परिपूर्ण , जितना लिखो कम है -आओ माँ को ता उम्र अपने सीने से लगाये रखें
आइये अपने सुझाव व् समर्थन के साथ हमारे ब्लाग पर भी
शुक्ल भ्रमर ५
माँ देती है सदा शीतल छाया,
माँ इंसान के रूप में है भगवान,
मातृ दिवस पर माँ तुम्हें सादर प्रणाम !
माँ की प्यारी रचना ....
धन्यवाद उर्मी जी
आप की प्रतिक्रिया माँ के ऊपर पा हर्ष हुआ
आप का हमारे अन्य ब्लॉग पर भी स्वागत है
http://surenrashuklabhramar5satyam.blogspot.com,
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आप से सुझाव व् समर्थन की भी उम्मीद है
धन्यवाद
शुक्ल भ्रमर ५
माँ के बारे में सुंदर प्रस्तुति. एक उपन्यास और शीर्षक प्रेम का प्रयोग काफी अच्छा लगा.
माँ फूलों की गुलदस्ता है,
हर तरफ अपनी ख़ुशबू बिखेरती है,
माँ एक ऐसी उपन्यास है,
जिसका शीर्षक सिर्फ़ प्रेम है !
mother's day पर बहुत अच्छी और सामयिक रचना है.
सुन्दर भाव.......बेहतरीन कविता.........
nice one
माँ एक ऐसी उपन्यास है जिसका शीर्षक सिर्फ प्रेम है.....
हर दिल की बात कह दी आपने इन शब्दों में!
बहुत ही सुंदर रचना
है....:)
आप मेरे मेरे ब्लॉग पर आयीं,इसके लिए बहुत बहुत आभार.आपकी सुन्दर टिपण्णी से दिल खुश हों गया.धन्यवाद.
माँ पर लिखी प्यारी कविता।
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