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Sunday, May 15, 2011


मोहब्बत

हर ग़ज़ल में लिखती हूँ मैं तुझको,
और मेरा पैग़ाम--मोहब्बत क्या होगा ?

तेरे ख्यालों में खोयी रहती हूँ सदा,
इससे बड़ा सलाम--मोहब्बत क्या होगा ?

इकरार कर लिया हमने मोहब्बत का,
जाने अब अंजाम--मोहब्बत क्या होगा ?

निकल परे संग तेरे हम सुबह को,
कौन जाने शाम--मोहब्बत क्या होगा ?

दुनियावाले क्या कहें और क्या सोचें,
जाने अब अपना नाम--मोहब्बत क्या होगा ?

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम--मोहब्बत क्या होगा ?


27 comments:

खबरों की दुनियाँ said...

सच ही कहा है - इससे बड़ा सलाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ? अच्छी नज़्म ।

संजय भास्‍कर said...

वाह ! बबली जी,
इस कविता का तो जवाब नहीं !

संजय भास्‍कर said...

किस खूबसूरती से लिखा है आपने। मुँह से वाह निकल गया पढते ही।

Rakesh Kumar said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?

मोहब्बत पर बहुत अच्छा अनुसंधान किया है आपने.हर शब्द ऐसा लगता है मानो दिल से निकला हों.बबली जी बहुत सुन्दर अहसास हैं आपके.एक गाना मुझे मुगले आजम का याद आता है
"प्यार किया तो डरना क्या,
प्यार किया कोई चोरी नहीं की,
छिप छिप आहें भरना क्या."

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" said...

निकल परे संग तेरे हम सुबह को,
कौन जाने शाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?

बहुत खूब !

सदा said...

वाह ... बहुत ही अच्‍छा लिखा है ।

जयकृष्ण राय तुषार said...

sundr kvita bdhai

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?


बस बढते जाइए ..मंजिल मिल ही जायेगी ... सुन्दर अभिव्यक्ति

वीना श्रीवास्तव said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?

कौन जानता है कि मोहब्बत में मुकाम या अंजाम क्या होगा...फिर भी विश्वास जरूरी है जो होगा अच्छा होगा...
बहुत सुंदर...

Amrit said...

Wow. Now writing romantic stuff. Seriously try Hindi movies...your poems are far better than latest songs they write these days.

डॉ. मोनिका शर्मा said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?
बहुत सुंदर ....

चला बिहारी ब्लॉगर बनने said...

बहुत सुन्दर!!

मनोज कुमार said...

मन के अहसास को सुंदर अभिव्यक्ति दी है आपने।

M VERMA said...

बेहतरीन
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा

Kunwar Kusumesh said...

दुनियावाले क्या कहें और क्या सोचें,
जाने अब अपना नाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?

वाह वाह वाह

किसी का एक शेर याद आ गया,आप भी देखिये:-

मालूम जों होता हमें अंजामे-मुहब्बत.
लेते न कभी भूल के हम नामे-मुहब्बत .

मनोज अबोध said...

अच्‍दी रचना है । बबली जी आपकी पसंद और टेस्‍ट ला-जवाब है । बधाई

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत बढ़िया ग़ज़ल!

Unknown said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?

मोहब्बत पर बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

Satish Saxena said...

हर ग़ज़ल ही लिखती हूँ तुम
पर, पैगामें मुहब्बत क्या होगा !
ख्यालों में, खोयी रहती सदा,
अस्सलामे -ए-मोहब्बत क्या होगा ?

कमाल के भाव हैं आपके , बहुत संवेदनशील हो ...शुभकामनायें आपको !

मदन शर्मा said...

आपके सारे पोस्ट देखे बहुत खुबसूरत पोस्ट है आपका !
अफ़सोस है की पहले क्यों नहीं आया !
आप मेरे ब्लॉग पे आयीं इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद्
और आशा करता हु आप मुझे इसी तरह प्रोत्साहित करती रहेंगी!!
सभी कविताएं रोचक एवं बेजोड़ हैं! आपको मेरी हार्दिक शुभ कामनाएं.......

Rachana said...

लम्बा है ये सफ़र, आसान नहीं है डगर,
कौन जाने मुक़ाम-ए-मोहब्बत क्या होगा ?
kya khoob likha hai sunder
rachana

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " said...

रूमानी रचना .....

हर शेर बेहतरीन...

Khare A said...

achhi najm ban padi he

hot girl said...

Bahut Sundar

Dr (Miss) Sharad Singh said...

बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना के लिए हार्दिक बधाई।

Amrita Tanmay said...

सुंदर अभिव्यक्ति दी है अहसास को..अच्‍छा लिखा है.

नश्तरे एहसास ......... said...

हमारे ब्लॉग पर आने क लिए बहुत बहुत शुक्रिया.......पहले की तरह यह रचना भी बहुत खूब लिखी है आपने!
हम आपके फोल्लोवेर बन गए जी...